29 मार्च को महानिशा पूजा और 30 मार्च को रामनवमी का महापर्व मनाया जाएगा। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष से नवरात्र महापर्व प्रारम्भ होता है। चैत्र नवरात्र हिंदू नव वर्ष का आरंभ भी इसी दिन से माना जाता है। इस पूरे वर्ष में नल संवत सर का मान्य होगा। नवरात्रि हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक बेहद मुख्य पर्व है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष 22 मार्च बुधवार से 31 मार्च शुक्रवार तक चैत्र नवरात्र पर्व मनाया जाएगा। इसमें देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की बहुत हीं भव्य तरीके से पूजा की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा को खुश करने के लिए उनके नौ रूपों की पूजा-अर्चना और पाठ की जाती है। इस पाठ में देवी के नौ रूपों के अवतरित होने और उनके द्वारा दुष्टों के संहार का पूरा विवरण है। आयुष्मान ज्योतिष परामर्श सेवा केन्द्र के संस्थापक साहित्याचार्य ज्योतिर्विद आचार्य चन्दन तिवारी ने बताया कि उन्होंने बताया कि भगवती दुर्गा का आगमन नाव पर एवं गमन हाथी पर दोनों शुभ सूचक है। पौराणिक मान्यताओं अनुसार सृष्टि के आरंभ का समय चैत्र नवरात्र का पहले दिन से कालगणना शुरू हुई थी। देवी भागवत पुराण के अनुसार इसी दिन देवी मां ने सभी देवी देवताओं के कार्यों का बंटवारा किया था। सृष्टि के आरंभ से पूर्व अंधकार का साम्राज्य था। तब आदि शक्ति जगदंबा देवी अपने कूष्मांडा अवतार में भिन्न वनस्पतियों और दूसरी वस्तुओं को संरक्षित करते हुए सूर्यमंडल के मध्य में व्याप्त थीं। जगत निर्माण के समय माता ने ही ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव की रचना की थी। सत, रज और तम नामक गुणों से तीन देवियां लक्ष्मी, सरस्वती और काली माता की उत्पत्ति हुई।