मेरा नाम रमन कुमार है । मैं पाटम्बर से बात कर रहा हूँ । सामुदायिक मीडिया रिपोर्टर शशांक पांडे मेरे घर आए और मुझे बताया कि एक कविता वर्षों से लिखी जा रही है । ना मैं घूमे घूमे बाटा बिगनो को तुम तुम तो साग धूप घासे पानी पत्थर पांडव आए कुछ और निकल भाग्य ना सब सुता है , देखो आगे क्या होता है , दोस्ती का रास्ता बताने के लिए , सब कुछ पटरी पर लाने के लिए , दुर्योधन को उन पांडवों को एक संदेश भेजें जो वन्हस्तीनापुर आए हैं ताकि सुयोधन को भयानक विद्वांस को बचाने के लिए राजी किया जा सके । न्याय अगर यह ढाई है , लेकिन अगर इसमें कोई बाधा है , तो केवल पांच ग्राम दें । अति से खाएंगे , परिवार पर हसी से लिए लिए लिए दुर्योधन , वह भी अतिश समाज के लेना देना के लेनाका उल्लाटे हरि को बंदते नहीं चला ।