सिकन्दरा प्रखंड में एक तरफ पूरा देश 73 वें गणतंत्र दिवस की खुशी मना रहा था तो वहीं सिकन्दरा नगर पंचायत स्थित नवाब टोली में 1971 के जंग के सिपाही मु.हनीफ खान दुनिया को अलविदा कह गए।उनके निधन पर बुद्धिजीवियों,समाजसेवियों,प्रशासनिक अधिकारियों के बीच शोक की लहर दौड़ पड़ी।उनके अंतिम दर्शन को लेकर एसडीपीओ जमुई डा.राकेश कुमार के अलावा समाजसेवी गुड्डू यादव एवं सुन्नी उलेमा बोर्ड के सचिव मौलाना जियाउल रसूल गफ्फारी ने पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित कर श्रद्धा निवेदित की।एसडीपीओ ने कहा कि 1971 की भारत-पाकिस्तान की लड़ाई को आज भी स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है। पाकिस्तान ने भारत के सामने अपने 93,000 सैनिकों के साथ घुटने टेक दिए थे। यह लड़ाई जितनी बड़ी थी, उतनी ही बड़ी इसकी जीत की भूमिका है। इस लड़ाई की कहानियां-किस्से आज भी लोगों के अंदर देशभक्ति के जज्बे को कई गुना बढ़ा देती है।नमन ऐसे वीर सपूतों को जिन्होंने देश की रक्षा में अपनी अहम भूमिका निभाई।फौजी हनीफ खान की देशभक्ति को देश हमेशा याद रखेगा।गुड्डू यादव ने कहा कि फौजी साहब न सिर्फ देशभक्ति में अपनी अहम भूमिका निभाई है बल्कि समाजसेवा में भी अग्रणी रहे हैं।मौलाना गफ्फारी ने कहा कि वे युवाओं के प्रेरणाश्रोत थे।युवाओं को हमेशा देशभक्ति के प्रति प्रेरित करते थे।बता दें कि फौजी हनीफ खान के दिलों में देश की सेवा करने का जज्बा इस तरह से था कि वह खुद तो बीएसएफ में थे सेवानिवृति के बाद उन्होंने अपने बेटे और अपने पोते को भी देश की सेवा में लगा दिया।उनके बेटे रियाज खान भी बीएसएफ जवान के रूप में देश की सेवा की।जब रियाज खान सेवानिवृत हुए तो उनके के बेटे अर्थात हनीफ खान के पोते मु.नदीम खान जो वर्तमान में राजस्थान बार्डर पर है तो वही दूसरा पोता मु.जावेद खान उर्फ रिंकू खान वर्तमान में पंजाब बार्डर पर देश की सेवा में लगा है।इस तरह से फौजी हनीफ खान का एक कुंबा देश की सेवा करता आ रहा है।फौजी मु.हनीफ खान लगातार 20 वर्षों से सिकन्दरा जामा मस्जिद के सदर भी थे।पूरी खबर सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।