जमुई जिले के सिकंदरा प्रखंड से, विजय कुमार जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि, समाज में फ़ैल रहे दहेज़ प्रथा एवं बाल विवाह को खत्मकर एक नए समाज का निर्माण करे। भारतीय समाज में कई परम्पराएँ जीवित है। आधुनिकता का दम भरने वाला ये समाज परम्पराओं के साथ इस कदर चिपका हुआ है कि, मानों ये समाज की आवश्यक अंग है। आज कहने को हम 21 वीं सदी में है, लेकिन आज इतने शिक्षित समाज में भी दहेज़ प्रथा एवं बाल विवाह विकराल समस्या बन चुकी है। कई प्रकार की सामाजिक बुराइयाँ समाज से समाप्त हो चुकी है, लेकिन कुछ वर्षो से दहेज़ प्रथा एवं बाल विवाह की जड़े काफी गहरी होती जा रही है। 21 वीं सदी में बिहार में बाल विवाह का औसत 40 फीसदी है, साथ ही दहेज़ की औसत इससे भी अधिक है। दहेज़ के लिए सिर्फ वर-पक्ष ही नहीं बल्कि कन्या-पक्ष वाले भी बराबर रूप से जिम्मेदार होते है, क्यूंकि दोनों पक्ष के लोग दहेज़ लेने और देने में अपना शान समझते है।