उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फारूद्दीन खान मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं को पैतृक संपत्ति पर अधिकार होना चाहिए। इस बात पर चर्चा होती है कि उन्हें कई पहलुओं में अधिकार होने चाहिए या नहीं और दूसरी ओर, अगर इसे रिश्ते के दृष्टिकोण से देखा जाए,तो यह देखना उचित नहीं हो सकता है क्योंकि जब महिलाएं शादी करती हैं, तो उनके पिता और भाइयों को अपनी आजीविका कमाने के लिए कुछ सामान और कुछ चीजें मिलती हैं। ये सभी चीजें उन्हें उस समय उपहार में दी जाती हैं। न तो भाई और न ही उनके परिवार में से किसी ने उन्हें बताया कि इसमें मेरा हिस्सा है या जब उनकी पैतृक संपत्ति पर महिलाओं के अधिकारों की बात आती है तो उन्हें इतना क्यों दिया जा रहा है। यह महिलाओं की सोच है कि उनके भाइयों को उनकी पैतृक संपत्ति पर संपत्ति मिलनी चाहिए, वे उस पर अपना अधिकार नहीं खोना चाहती हैं, भारत जैसे देश में जमीन सबसे महंगी है। संबंधों को बहुत महत्व दिया जाता है, इसलिए महिलाएं पैतृक संपत्ति पर अपना अधिकार जमा नहीं करती हैं, बल्कि पूरी तरह से अपने भाइयों और भाइयों से और अपने पिता से प्राप्त करती हैं। यदि महिला का कोई भाई नहीं है या कोई नहीं है, तो वह संपत्ति का पूरा स्वामित्व लेती है, तो महिलाओं के लिए ऐसा करना उचित है

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीव दास साहू , रागी यानि मड़ुवा फसल में सिंचाई एवं रोग और किट नियंत्रण की जानकारी दे रहे हैं। रागी फसल से जुड़ी कुछ बातें किसानों को ध्यान में रखना ज़रूरी है। इसकी पूरी जानकारी सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

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उत्तरप्रदेश राज्य के जिला सुल्तानपुर से फकरुद्दीन , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि हमारे देश भारत में महिलाओं को भूमि पर बहुत कम महत्व दिया जाता है, यानी महिलाओं के नाम पर भूमि बहुत कम है। भूमि का स्वामित्व पुरुषों के पास है लेकिन अब आधुनिक समय में महिलाओं को भी भूमि पर पूरा अधिकार मिलना चाहिए और कई लोग अब धीरे-धीरे महिलाओं के नाम पर जमीन बना रहे हैं ताकि महिलाएं भी सशक्त हों और वे परिवार में हर तरह की भूमिका में दिखाई दें। अगर जमीन महिलाओं के नाम पर होगी तो महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा, महिलाओं का सशक्तिकरण भी होगा, परिवार के हर फैसले में महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा। महिलाओं को जमीन न मिलने की सबसे बड़ी समस्या परिवार है। जब महिलाएं शादी करती हैं, तो माता-पिता यही चाहते हैं, चाहे वह उनकी मां हो, पिता हो या भाई। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कौन है, हर कोई चाहता है कि महिला उस जमीन पर कोई अधिकार न दिखाए, ससुराल में सभी भूमि वहाँ के पुरुषों के नाम पर हैं या जब भी उनके पति कोई भूमि लेते हैं, तो वे उसे अपने पिता के नाम पर या फिर अपने-अपने नाम पर लेते हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सेहनाज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की लोकतांत्रिक प्रतिक्रियाओं और पूरे देश के लिए सत्ता को हटाने का विरोध किया। केंद्र सरकार या केंद्र सरकार नामक एक सरकार है, जो क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकारें बनाती है जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। भारत में, केंद्र और राज्य स्तरों पर स्थानीय सरकारें भी उनके बीच सत्ता के बंटवारे के संबंध में संविधान के रूप में कार्य करती हैं। यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि विभिन्न सरकारों के बीच शक्तियों का तनाव नहीं होना चाहिए।

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उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूद्दीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और विपक्ष में सत्तारूढ़ दल के अधिकार के विषय पर चर्चा की जा रही है जिसमें यह बताया गया है कि सत्तारूढ़ दल द्वारा जो मनमानी की जा रही है, यानि की जो परंपरा है उन्हें दरकिनार कर रहे हैं और वही कर रहे हैं जो उन्हें सही लगता है। ऐसा करना बिलकुल भी जायज़ नहीं । लोकतंत्र की सुंदरता यह है कि सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों की सहमति से अगर कोई काम होता है, तभी देश का विकास होता है, तभी वह विकास लोगों तक पहुंचता है, अगर सत्तारूढ़ दल सब कुछ अपने तरीके से करेगा, यानी वह किसी भी विपक्ष की बात नहीं सुनेगा, केवल अपने मन की करेगा तो ये लोकतंत्र के बिल्कुल विपरीत होगी, इसलिए सत्तारूढ़ दल को मनमाने ढंग से काम नहीं करना चाहिए, जबकि विपक्ष को भी सुना जाना चाहिए और जहां भी उचित लगे, लोगों का विश्वास हो वही काम करना चाहिए, यह नहीं कि सत्तारूढ़ दल जो चाहे करे, जो भी उसका मन हो, या चाहे वह अपनी परंपराओं में हो या नहीं, उसे ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। सत्ता पक्ष देश को भी चला सकते हैं, वे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को आगे बढ़ा सकते हैं, पूरी तरह से सत्तारूढ़ दल और विपक्ष इसी तरह लोकतंत्र का संविधान इस तरह से लिखा गया है कि केवल एक दल भारत के संविधान पर पूरी तरह से हावी होकर कोई काम नहीं कर सकता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूदीन मोबाइल वाणी के माध्यम बता रहे हैं कि लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए सरकार को हर क्षेत्र में महिलाओं को आरक्षण देना चाहिए, लेकिन उस आरक्षण को लोगों तक ले जाना बहुत जरूरी है, यानी कानून बनाए जाते हैं और आरक्षण भी दिया जाता है। कानून भी बनाए जाते हैं, महिलाएं भी लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए कई योजनाएं बनाती हैं, लेकिन वे योजनाएं लोगों तक पहुंचेंगी जहां तक शिथिलता बढ़ी है, यानी उस कानून में लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए जो भी उपाय किए गए हैं। उन्हें लोगों के पास ले जाएं, उन्हें महिलाओं के बारे में जानकारी दें, उनके अधिकार क्या हैं, उन्हें शिक्षित करें, उन्हें जानकारी दें, उस जानकारी को लोगों तक पहुंचाएं ताकि महिलाएं उनके बारे में जान सकें और उनके बारे में जागरूक हो सकें। यह विश्वास नहीं किया जा सकता है कि नियम और विनियम बनाए जा सकते हैं, लेकिन जब तक वे महिलाओं तक नहीं पहुंचेंगे, महिलाओं को उनके बारे में पता नहीं होगा, इसलिए महिलाओं का उपयोग कैसे किया जाए, यह बहुत गंभीर है।

दोस्तों, कुछ ख़ास बातों का ध्यान रखकर इस गर्मी में अपने शरीर के साथ साथ घर को भी बनाएं थोडा ठंडा ठंडा, कूल कूल | कैसे? आइये इस कार्यक्रम में जानते है |