उत्तरप्रदेश राज्य के जिला सुल्तानपुर से फकरुद्दीन , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि हमारे देश भारत में महिलाओं को भूमि पर बहुत कम महत्व दिया जाता है, यानी महिलाओं के नाम पर भूमि बहुत कम है। भूमि का स्वामित्व पुरुषों के पास है लेकिन अब आधुनिक समय में महिलाओं को भी भूमि पर पूरा अधिकार मिलना चाहिए और कई लोग अब धीरे-धीरे महिलाओं के नाम पर जमीन बना रहे हैं ताकि महिलाएं भी सशक्त हों और वे परिवार में हर तरह की भूमिका में दिखाई दें। अगर जमीन महिलाओं के नाम पर होगी तो महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा, महिलाओं का सशक्तिकरण भी होगा, परिवार के हर फैसले में महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा। महिलाओं को जमीन न मिलने की सबसे बड़ी समस्या परिवार है। जब महिलाएं शादी करती हैं, तो माता-पिता यही चाहते हैं, चाहे वह उनकी मां हो, पिता हो या भाई। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कौन है, हर कोई चाहता है कि महिला उस जमीन पर कोई अधिकार न दिखाए, ससुराल में सभी भूमि वहाँ के पुरुषों के नाम पर हैं या जब भी उनके पति कोई भूमि लेते हैं, तो वे उसे अपने पिता के नाम पर या फिर अपने-अपने नाम पर लेते हैं।
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
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