जनपद प्रतापगढ़ के रानीगंज क्षेत्र के विभिन्न ग्राम सभाओं में बिन मौसम बारिश होने की वजह से किसानों की गेंहू की फसल खेत में पूरी तरह से गिरकर नष्ट हो गयी है, जिससे किसानों का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है, और यहां के किसानो में बहुत निरशा है,और वो बहुत दुखी हैं, किसान अपनी खेती में इतनी लागत लगा कर खेती करता है, खेतीं में कडी़ मेनहत करता है, कभी नील गाय तो कभी आवारा पशु से अपनी फसल को बचाने का प्रयास करता है, लेकिन दैविक आपदा से कैसे बच पायेंगें यहां के किसान और कैसे कर पायेंगे अपने नुकासान को पूरा जनपद प्रतापगढ़ के किसान

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पिछले 10 सालों में गेहूं की एमएसपी में महज 800 रुपये की वृद्धि हुई है वहीं धान में 823 रुपये की वृद्धि हुई है। सरकार की तरफ से 24 फसलों को ही एमएसपी में शामिल किया गया है। जबकि इसका बड़ा हिस्सा धान और गेहूं के हिस्से में जाता है, यह हाल तब है जबकि महज कुछ प्रतिशत बड़े किसान ही अपनी फसल एमएसपी पर बेच पाते हैं। एक और आंकड़ा है जो इसकी वास्तविक स्थिति को बेहतर ढ़ंग से बंया करत है, 2013-14 में एक आम परिवार की मासिक 6426 रुपये थी, जबकि 2018-19 में यह बढ़कर 10218 रुपये हो गई। उसके बाद से सरकार ने आंकड़े जारी करना ही बंद कर दिए इससे पता लगाना मुश्किल है कि वास्तवितक स्थिति क्या है। दोस्तों आपको सरकार के दावें कितने सच लगते हैं। क्या आप भी मानते हैं कि देश में गरीबी कम हुई है? क्या आपको अपने आसपास गरीब लोग नहीं दिखते हैं, क्या आपके खुद के घर का खर्च बिना सोचे बिचारे पूरे हो जाते हैं? इन सब सरकारी बातों का सच क्या है बताइये ग्रामवाणी पर अपनी राय को रिकॉर्ड करके

जनपद प्रतापगढ़ के रानीगंज क्षेत्र के विभिन्न ग्राम सभाओं में पिछले दस दिनों से कहीं धूप है,तो कहीं छांव तो कहीं कहीं पर बादल छाये हुऐ हैं, पिछले सप्ताह छिट पुट बारिश होने की वजह से किसानों को सिंचाई करने से थोडी़ राहत मिली थी, जिससे किसानों ने अपने गेंहू की सिचाई नहीं किया, क्योंकि, तब से अब तक मौसम में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ, और रोज कहीं धूप तो कहीं छांव कहीं बादल छाये रहते हैं, जिसकी वजह से किसानों को भगवान के ऊपर भरोसा रखते हुए अपने गेंहू की नहीं की अब देखना यह है,की क्या किसानों का भला हो पायेगा भगवान भरोसे या फिर किसानों को नुकशान उठाना पडे़गा,

CRISIL के अनुसार 2022-23 में किसान को MSP देने में सरकार पर ₹21,000 करोड़ का अतिरिक्त भार आता, जो कुल बजट का मात्र 0.4% है। जिस देश में ₹14 लाख करोड़ के बैंक लोन माफ कर दिए गए हों, ₹1.8 लाख करोड़ कॉर्पोरेट टैक्स में छूट दी गई हो, वहां किसान पर थोड़ा सा खर्च भी इनकी आंखों को क्यों खटक रहा है? आप इस पर क्या सोचते है ? इस मसले को सुनने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

भूमि विवाद निस्तारण के लिए एसडीएम को बुलाने के लिए भारतीय किसान मजदूर यूनियन ने धरना प्रदर्शन किया और एसडीएम को बुलाकर मौके पर ही जमीन के विवाद का निस्तारण करने की मांग की

रात में चलीं हवा और बारिश से क्या क्या नुकसान हुआ है किसानों का

देश के किसान एक बार फिर नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले साल नवंबर 2020 में किसानों ने केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के रद्द करने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन किया था और इसके बाद अगले साल 19 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार ने तीनों कानून वापस ले लिए थे, हालांकि इस दौरान करीब सात सौ किसानों की मौत हो चुकी थी। उस समय सरकार ने किसानों की कुछ मांगों पर विचार करने और उन्हें जल्दी पूरा करने का आश्वासन दिया था लेकिन ऐसा अब तक नहीं हआ है। और यही वजह है कि किसान एक बार फिर नाराज़ हैं।

जनपद प्रतापगढ़ के रानीगंज क्षेत्र के ग्राम सभा गीता नगर पढ़वा नसीरपुर मधवापुर केवरा कला पटहटिया कला फतनपुर गौरा कठिन्द्रा आदि ग्राम सभाओं में नहरों के माईनर में पानी आज एक सप्ताह से बंद कर दिया गया है, जिससे यहां के स्थानीय किसानों को सिचाई के लिये बहुत परेशानी हो रही है, जिनको अपने खेत की सिचाई करने के लिये दो तीन सौ मीटर पाईप लगाकर पम्पिंगसेट से सिचाई करना पड़ता है। जिसके लिए किसानों को डीजल खरीदना पड़ता है।