मैं , शैलेंद्र प्रताप सिंह , मोबाइल वडनी में आप सभी का स्वागत करता हूं । आपको बता दूं , साहब , सड़कें गीली हो गई हैं । उन पर चलना भी मुश्किल हो गया है । चित्र स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि सड़क जलमग्न हो गई है । यहाँ एक पक्की सड़क थी । सड़क बड़े पत्थरों से बनी थी और पत्थर से बनी इस सड़क को तोड़ दिया गया था और उस पर मोटी मिट्टी के छोटे - छोटे टुकड़े डाल दिए गए हैं , फिर भी गड्ढे बार - बार हो रहे हैं और नालियों का पानी भी सड़कों को भर रहा है । चलना भी मुश्किल हो गया है , सुनने वाला कोई नहीं है , हर कोई रुई पहने , आंखें बंद करके काम पर बैठा है । यह वही कहावत है कि गांधी जी के तीन बंदर इस तरह बन गए हैं । जिम्मेदारी वाले सभी लोग कहते हैं कि साहब बनाया जाएगा , लेकिन अंत में बनाया जाएगा । तस्वीरों से बहुत कुछ पता चलता है , ये आज की तस्वीर है , प्रतापगढ़ के ताला बाजार का एक मामला है , जहाँ बाज़ार के बीच में सड़क बनी है , जिससे पता चलता है कि यहाँ बहुत कुछ है , साहब , लेकिन तस्वीरें लेने वाला कोई नहीं है , जो है वह कहती हैं कि विकास के नाम पर जो भी काम और दावे किए जाते हैं , वे कागजों तक ही सीमित हैं , ग्रामीण परेशान हैं , बाजार के निवासी परेशान हैं , वे कहते हैं कि हम चल भी नहीं सकते हैं , इसलिए विकास के नाम पर यही सोचने की बात है । तब तक भोंग होता रहेगा , अच्छे काम होते रहेंगे , लोगों को लुभाने वाले सपने दिखाए जाते रहेंगे , यहाँ बाजार ऐसा है कि इसे बहुत पुराना बाजार माना जाता है जो अभी तक विकसित नहीं हुआ है , लेकिन कोई भी इसे नहीं देख रहा है ।