नए नए आजाद हुए देश के प्रधानमंत्री नेहरू एक बार दिल्ली की सड़कों पर थे और जनता का हाल जान रहे थे, इसी बीच एक महिला ने आकर उनकी कॉलर पकड़ कर पूछा कि आजादी के बाद तुमको तो प्रधानमंत्री की कुर्सी मिल गई, जनता को क्या मिला, पहले की ही तरह भूखी और नंगी है। इस पर नेहरु ने जवाब दिया कि अम्मा आप देश के प्रधानमंत्री की कॉलर पकड़ पा रही हैं यह क्या है? नेहरू के इस किस्से को किस रूप में देखना है यह आप पर निर्भर करता है, बस सवाल इतना है कि क्या आज हम ऐसा सोच भी सकते हैं?
कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?
उत्तरप्रदेश राज्य के कौशाम्बी जिला से ओम प्रकाश गौतम मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की उनके क्षेत्र में मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ गया है
उत्तर प्रदेश राज्य के कौसाम्बी जिला से ओम प्रकाश गौतम मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की उन्हें आवास की जरुरत है.
कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।
एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?
तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।
उत्तर प्रदेश राज्य के कौशांबी सदर प्रखंड क्षेत्र के पारा हसनपुर गांव की मिट्टी अभी भी विकास के लिए तरस रही है । सड़कें कच्ची हैं और नालियों की कमी के कारण सड़कें दलदल में बदल रही हैं । प्रधान सचिव के विकास कार्य केवल कागजों तक सीमित रहे हैं । अगर लोगों को लगता है कि गाँव के प्रधान सचिव विकास कार्यों के नाम पर सरकारी धन वितरित कर रहे हैं , तो गाँव में केवल विकास कार्य दिखाई देंगे ।
मैं ओम प्रकाश गौतम गाँव पहाड़पुल सुदौर का निवासी हूँ बाल कौशाम्बी उत्तर प्रदेश मैं कहना चाहता हूँ कि शिक्षा के विषय स्कूल में बच्चे स्कूल जाते हैं । भोजन कानून द्वारा नहीं पकाया जाता है । कभी खीचड़ी में नमक नहीं होता , कभी सब्जी में तेल नहीं होता , कभी दाल में नहीं होता । मेरे पास लहसुन नहीं है , इसलिए कभी - कभी कच्ची रोटी होती है , कृपया इसके बारे में कानूनी कार्रवाई करें ।
हर्रायपुर कौशाम्बी मूरतगंज ब्लॉक क्षेत्र के अंतर्गत सिकन्दरपुर बजहा के सामुदायिक शौचालय में 4 महीने से ताला बंद कर दिया गया है अंधेर गर्दी की हद तो तब हो गई जब अधिकारियों ने जिले को खुले में शौच मुक्त ओडीएफ घोषित कर शासन को रिपोर्ट भेज दिया है दूसरी तरफ सामुदायिक शौचालय में ताला बंद कर दिए जाने से खुले में मलमूत्र त्याग करने को लोग मजबूर हो रहे हैं जिम्मेदारों के दोहरे चरित्र में बेशर्मी की हद हो गई है एक तरफ सूबे के मुखिया स्वच्छता अभियान चला कर गांव गांव साफ सफाई पर जोर दे रहे हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी स्वच्छ भारत मिशन स्वच्छता अभियान के अंतर्गत करोड़ो का बजट खर्च कर साफ सफाई अभियान को जोर दे रहे हैं दूसरी तरफ ग्राम प्रधान व पंचायत सेक्रेटरी मिलकर स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियाँ उड़ा रहे है ग्रामीणों का कहना है कि 4 माह से इस सामुदायिक शौचालय में ताला बंद पड़ा है