आज के समय में लोगो आख़िरकार इतने ज़्यादा अकेलेपन का शिकार क्यों हो जाते है ? वे कौन से वजह होते हैं कि लोग साथ साथ होते हुए भी अपनी मन की बात एक दूसरे तक नहीं पहुचा पते है ? अपने परिवार और अपनों को इस अकेलेपन से दूर रखने के लिए आप अपने स्तर पर क्या करना चाहेंगे ?

हमारे समझ में आज भी यौन शोषण के बारे में एक अनचाही चुप्पी साध ली जाती है और पीड़ित व्यक्ति को ही कहीं न कहीं हर बात के लिए जिम्मेदर बना देने की प्रथा चली आ रही है। पर ऐसा क्यों है? साथ ही इस तरह के सामाजिक दबावों के अतिरिक्त और क्या वजह होती है जिसके लिए आज भी कई सारे यौन शोषण के केस पुलिस रिपोर्ट में दर्ज नहीं होते हैं ? समाज में फैले यौन शोषण के मानसिकता के लिए कौन और कैसे जिम्मेदार है ? और समाज से इस मानसिकता को हटाने के लिए तुरंत किन - किन बातों पर अमल करना जरुरी है ?

क्या आपके जीवन में कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई हैं ?आपके के हिसाब से इस तरह की परिस्थिति में अपने आपको तनाव मुक्त रखने के लिए क्या करना चाहिए ? और घर में नशे के कारण झगड़ों से बच्चो पर क्या प्रभाव पड़ता है? और उन्हें इस तरह के परिस्थिति से दूर रखने के लिए माता पिता को क्या करना चाहिए ?

क्या आपने कभी ऐसा कुछ महसूस किया है या ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं जिन्होंने ऐसी स्थिति का सामना किया है ?ऐसी परिस्थिति में आपको क्या लगता है कि आपके सबसे नज़दीकी रिश्तों को बनाएं रखने में और किस तरह का मदद उपयोगी हो सकते हैं

आपको क्या लगता है लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति पर क्यों बात करना नहीं चाहते और चुप रहते हैं ?क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है की आपने अपनी मन की बात किसी को समझाने की कोशिश की पर सामने वाला उसे समझ न पाया हो ?आपको क्या लगता है, क्यों मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुल कर बात करने से लोग अभी भी कतराते हैं?

मानसिक स्वास्थ्य के बारे में आपका क्या ख्याल है ?आपके हिसाब से क्या हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों के अंदर जागरूकता का स्तर कैसा है ?कितना जरुरी होता है ज़िन्दगी के इस पहलूँ पर ध्यान देना ?

बढ़ती गर्मी पर स्रोता से बात चीत

Transcript Unavailable.

जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में 'बचपन मनाओ-बढ़ते जाओ' कार्यक्रम सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नंबर 3

एड्स इस नाम से हम सभी भली भांति परिचित हैं इसका पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम ' यह एक तरह का वायरस है जिसे एचआईवी के नाम से भी जाना जाता है।यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन आज भी लोगों में एड्स को लेकर सतर्कता नहीं है।साथ ही इसे समाज में भेदभाव की भावना से देखा जाता है। एड्स के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। दोस्तों , हम सभी को एड्स को लेकर सतर्क रहना है ,साथ ही लोगों में सर्तकता लाने की भी ज़रुरत है।साथियों, एड्स का उपचार भेदभाव नहीं बल्कि प्यार है। आइये हम सभी मिलकर विश्व एड्स दिवस मनाए और लोगों में एड्स के प्रति अलख जगाए। सतर्क रहें,सुरक्षित रहें