भारत में जहां 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में एक तरफ राजनीतिक दल हैं जो सत्ता में आने के लिए मतदाताओं से उनका जीवन बेहतर बनाने के तमाम वादे कर रहे हैं, दूसरी तरफ मतदाता हैं जिनसे पूछा ही नहीं जा रहा है कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए। राजनीतिक दलों ने भले ही मतदाताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया हो लेकिन अलग-अलग समुदायो से आने वाले महिला समूहों ने गांव, जिला और राज्य स्तर पर चुनाव में भाग ले रहे राजनीतिर दलों के साथ साझा करने के लिए घोषणापत्र तैयार किया है। इन समूहों में घुमंतू जनजातियों की महिलाओं से लेकर गन्ना काटने वालों सहित, छोटे सामाजिक और श्रमिक समूह मौजूदा चुनाव लड़ रहे राजनेताओं और पार्टियों के सामने अपनी मांगों का घोषणा पत्र पेश कर रहे हैं। क्या है उनकी मांगे ? जानने के लिए इस ऑडियो को सुने

उत्तरप्रदेश राज्य के फतेहपुर जिले के  अखिल भारतीय भाट समाज एकता मंच ने भाट जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने की मांग की है। केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि उनको अनुसूचित जनजाति मे वर्गीकृत कर आरक्षण का लाभ दिया जाएंउन्होंने बताया कि सन 1950 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भाट जाति को क्रिमिनल ट्राइब्स (हिंसक जनजाति) से हटाकर विमुक्त जाति के घुमंतू जनजाति में रखा जो अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्य है।