एड्स इस नाम से हम सभी भली भांति परिचित हैं इसका पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम ' यह एक तरह का वायरस है जिसे एचआईवी के नाम से भी जाना जाता है।यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन आज भी लोगों में एड्स को लेकर सतर्कता नहीं है।साथ ही इसे समाज में भेदभाव की भावना से देखा जाता है। एड्स के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। दोस्तों , हम सभी को एड्स को लेकर सतर्क रहना है ,साथ ही लोगों में सर्तकता लाने की भी ज़रुरत है।साथियों, एड्स का उपचार भेदभाव नहीं बल्कि प्यार है। आइये हम सभी मिलकर विश्व एड्स दिवस मनाए और लोगों में एड्स के प्रति अलख जगाए। सतर्क रहें,सुरक्षित रहें

उत्तरप्रदेश राज्य के फतेहपुर जिले के दोआबा में एड्स मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। काम की तलाश में सूरत, मुंबई आदि बड़े शहरों में जाने वाले कामगार वहां से एचआईवी का संक्रमण लेकर लौट रहे हैं। परिवार से दूर और गलत आदतों का शिकार हो अपना और परिवार का जीवन खराब कर रहे हैं। पिछले तीन सालों में दोआबा में एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या आठ सौ के पार हो गई है। इसमें इंजेक्शन से नशा लेने वाले मरीजों की संख्या सबसे अधिक है। जिला अस्पताल में साल 2020 में एआरटी सेंटर शुरू हुआ था। सेंटर शुरू होने के बाद मरीजों को सहूलियत हुई दवाओं के साथ कांउसिलिंग की सुविधा मिलने लगी। सेंटर शुरू होने के बाद से लेकर अब तक कुल 834 मरीजों का पंजीयन हुआ है। इनमें से वर्तमान में 765 लोंगो का नियमित इलाज चल रहा है। इस दौरान 25 लोंगो की मौत भी हो चुकी है। साथ ही 44 मरीजों के बारे में जानकारी नहीं है। विभाग उनकी जानकारी कराने में जुटा है। आशंका जताई जा रही है कि इनमें से कुछ की मौत हो चुकी होगी और कुछ अन्य स्थानों में जाकर बस गए होंगे। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक संक्रमित एचआईवी वायरस से फैलने वाले एड्स की चपेट में बच्चों से लेकर 70 साल के बुजुर्ग हैं। तीन से तेरह साल की उम्र वाले करीब 25 बच्चों का इलाज चल रहा है। वहीं कुल मरीजों में 40 फीसदी महिला मरीज हैं। एक 70 साल की उर्म्र वाले बुजुर्ग का भी इलाज चल रहा है। बताया जा रहा है कि वह करीब 23 सालों से एचआईवी संक्रमित हैं। अधिकतर संक्रमित मरीज 21 से 40 साल के हैं। सेंटर में स्टाफ की कमी जिला अस्पताल में साल 2020 से संचालित एआरटी सेंटर स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। सेंटर में सात लोगों के तैनाती की जगह मात्र एक टेक्नीशयन और एक कांउसलर की तैनाती है। इसके कारण तैनात स्टाफ को काम करने में दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। बताया जा रहा है कि कई बार अस्पताल प्रशासन ने शासन में पत्र लिखकर स्टाफ बढ़ाने की मांग की लेकिन मांग पूरी नहीं हुई। मरीजों को सेंटर में पूरी सुविधाएं दी जाती हैं। मरीजों को नियमित कांउसलिंग के लिए बुलाया जाता है। दवा, इलाज मुफ्त है। कई मरीज ऐसे हैं जो नियमित दवा का सेवन कर काम कर रहें हैं। मरीज नियमित दवा का सेवन और नशे से दूर रहकर पूरा जीवन जी सकता है। -अभय सिंह, कांउसलर एआरटी सेंटर

शर्म को ज़रा किनारे करके अपने बच्चों को AIDS के बारे में विस्तार से बताएं ताकि वो इस खतरनाक बीमारी से सुरक्षित रहे। साथियो अगर आप भी एड्स से जुडी कोई जानकारी हमसे साझा करना चाहते हैं तो फ़ोन में अभी दबाएं नंबर 3 का बटन और रिकॉर्ड करें अपनी बात।