फतेहपुर,। हर साल किसान सम्मान दिवस मनता है। कार्यक्रम, फूल मालाएं, फोटोग्राफी व कागजी कोरमबाजी में जरूर यह सब ठीक है लेकिन वास्तव में अन्नदाता हैं। वजह जिम्मेदारों की उदासीनता है। अन्ना मवेशी, खाद, बीज, पानी, बाजार भाव जैसे संकट से किसान रोज जूझ रहे हैं। किसान दिवस पर कार्यक्रम कर जिम्मेदारों ने एक बार फिर कागजों पर सब ठीक बता इतिश्री कर दी। अनेक कार्यक्रम हुए लेकिन पूर्व की तरह किसानों की समस्याएं जस की तस रहेंगी। पूर्व की तरह कार्यक्रमों में मुस्कुरा कर फोटो खिचवाने तक ही कवायद सीमित रही। अन्ना मवेशियों से कब निजात सर्दी में रतजगा को बावजूद किसान फसलें नहीं बचा पा रहे। दोआबा में अन्ना गोवंश अन्नदाता के लिए बड़ी मुसीबत है। वहीं वनरोज(नीलगाय) एवं बंदरों के झुंड खेतों को बर्बाद कर रहे हैं। नहर में पानी आएगा या उड़ती रहेगी धूलसिंचाई के लिए नहर व रजबहे मुख्य साधन हैं। समय अनुसार नलकूप और पम्प कैनालों से राहत की कवायद की गई। लेकिन देखभाल के अभाव में पम्प कैनाल व नलकूप काम न आए। नहरों में धूल उड़ रही। कब मिलेगी निर्बाध बिजली कृषक फीडर बनाने की घोषणा हुई। लेकिन विभाग की सुस्ती ने किसानों की उम्मीदों को धूमिल कर दिया। अन्नदाता सर्द रात में खेतों की सिंचाई को विवश है। बिचौलियों से कब छुटकारा अन्नदाता पसीने की कमाई के समय पर व सही न मिलने से परेशान हैं। मवेशियों व मौसम की मार झेल किसी तरह फसल पैदा करता है। गेहूं हो या धान बिक्री बिचौलियों की दखलअंदाजी हावी है। खरीद केंद्रों पर तौल कटौती व जिम्मेदारों का टरकाऊ रवैया परेशानी बने हैं।-बीज की उपलब्ध्ता कब होगी सुचारू खाद समितियों पर लंबी कतारें व हंगामेबाजी खाद की किल्लत को बयां करने को काफी है। बाजार से महंगी खाद लेने पर जेब खाली हो रही है। नकली खाद फसल व जमीन के लिए घातक बन रही है।