कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

जिला अस्पताल में व्यवस्था का आलम यह है कि मरीजों को ठीक से इलाज नहीं मिल रहा है। एक्सरे विभाग के गेट के सामने 2 घंटे तक स्ट्रेचर और 3 घंटे लाठी के सहारे बुजुर्ग मरीज के खड़े रहने पर जांच हो सकी।

सिकंदरपुर बस स्टेशन चौराहे के समीप पिछले कई दिनों से नगर पंचायत के कर्मचारियों के द्वारा भी सड़क पर पूरा फेंक कर जला दिया जाता है, जिसको लेकर लोगों ने विरोध किया है।

ग्राम पंचायत में सफाई कर्मियों द्वारा सफाई नहीं किए जाने से गंदगी बढ़ रही है।

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उत्तरप्रदेश राज्य के बलिया जिला बैरिया गंगा जो जनसंख्या विकास बैरिया विकास क्षेत्र से दूर है बैरिया पिछड़े गंगा जो उत्तर प्रदेश की तीस हजार आबादी को पार्क करता है गंगा दिखाई नहीं दे रही है , पाल बैरिया विकास खंड के नौरंगा गांव में पंचायत के आधा दर्जन गांवों की आबादी बिहार के संसाधनों पर निर्भर है । चिकित्सा सड़क बिजली और पानी के लिए बिहार पर निर्भर है । यहाँ उत्तर प्रदेश द्वारा कोई संसाधन स्थापित नहीं किए गए हैं , लेकिन गंगा के पार होने के कारण कागज पर । बिहार सरकार गंगा नदी के पार बैरिया तहसील में नौरंगा चक्की नौरंगा भुआल छापरा उदय छापरा डेरा सहित आधा दर्जन गाँवों में बिजली उपलब्ध करा रही है । वहीं बिजली आधी भर गई है , इसके लिए गांवों को रोशन किया जा रहा है । यदि कोई बीमार पड़ता है , तो उसका इलाज बक्सर जिले के अंतर्गत आने वाले ब्रह्मपुरवा आरा और पटना में किया जाता है ।

बलिया शहर की नालियां और नाले चोक, सड़के हुई बदहाल, गंदगी में आने जाने को मजबूर लोग

सिकन्दरपुर सीएचसी की हालत दयनीय, वापस लौट रहे हैं मरीज, नहीं मिल रहे हैं डाक्टर। लोगों में आक्रोश।

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