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नमस्ते , मैं संजीत विजय हूँ , आप बॉक्सर मोबाइल वाणी सुन रहे हैं , आज हम अकबर और बीरबल के किसा को सुनेंगे , एक दिन कोर्ट में बैठने के दौरान दाढ़ी के कितने बाल झड़ गए थे । आपने एक - दो बार छुआ होगा , तो क्या आप बता सकते हैं कि आपकी पत्नी के हाथ में कितने पक्षी हैं ? बीरबल यह सुनकर हैरान रह गए क्योंकि उन्होंने कभी अपने हाथ में पक्षियों को नहीं गिना था और न ही उन्होंने झूठ बोला था । कुछ देर सोचने के बाद बीरबर ने कहा , " मेरे हाथ को मेरी पत्नी का हाथ दिन में कई बार छूता होगा , लेकिन आपका हाथ आपकी दाढ़ी है । " दिन में पाँच बार तक , दिन में दो या चार बार , आप बता पाएंगे कि आपकी दाढ़ी पर कितने बाल हैं । यह कहना कि दाढ़ी गिनना मुश्किल है लेकिन हाथ की चूड़ियों को गिनना संभव है , मुश्किल है , जहां महिलाएं अपनी पसंद के अनुसार एक कम या एक अधिक पक्षी पहनती हैं , इसलिए एक निश्चित राशि होती है । गन्ना के बिना यह कहना असंभव है , ठीक है आप हर दिन जन जनाना में खाने के लिए जाते हैं , आपको ऊपर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं , क्या आप बता सकते हैं ? यह सुनकर कि रास्ते में सीढ़ियाँ हैं , कितनी सीढ़ियाँ हैं , कितनी खराब हैं , उन्होंने कहा कि उन्हें कभी गिनने का मौका नहीं मिला । अगर संख्या नहीं दी गई होती , तो पक्षियों की संख्या कैसे बताऊं , अगर चींटियों की गिनती की जा सकती थी , तो हम पक्षियों के दोषी होते , लेकिन जब उनका गन्ना उगाना असंभव था , तो चूड़ियों को कैसे गिनें ।

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बक्सर के सदर प्रखंड ब्लॉक का CO यानी कि अंचलाअधिकारी का हुआ ट्रांसफर श्रीमती निधि योजना कौन है नया बक्सर ब्लॉक सदर प्रखंड का CO जानिए एक रिपोर्ट के साथ

हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे।अगर आपके पास है कोई मज़ेदार चुटकुला, तो रिकॉर्ड करें मोबाइल वाणी पर, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर और जीतें आकर्षक इनाम।

घरेलू हिंसा सभ्य समाज का एक कड़वा सच है।आज भले ही महिला आयोग की वेबसाइट पर आंकड़े कुछ भी हो जबकि वास्तविकता में महिलाओं पर होने वाली घरेलु हिंसा की संख्या कई गुना अधिक है। अगर कुछ महिलाएँ आवाज़़ उठाती भी हैं तो कई बार पुलिस ऐसे मामलों को पंजीकृत करने में टालमटोल करती है क्योंकि पुलिस को भी लगता है कि पति द्वारा कभी गुस्से में पत्नी की पिटाई कर देना या पिता और भाई द्वारा घर की महिलाओं को नियंत्रित करना एक सामान्य सी बात है। और घर टूटने की वजह से और समाज के डर से बहुत सारी महिलाएं घरेलु हिंसा की शिकायत दर्ज नहीं करतीं। उन्हें ऐसा करने के लिए जो सपोर्ट सिस्टम चाहिए वह हमारी सरकार और हमारी न्याय व्यवस्था अभी तक बना नहीं पाई है।बाकि वो बात अलग है कि हम महिलाओं को पूजते ही आए है और उन्हें महान बनाने का पाठ दूसरों को सुनाते आ रहे है। आप हमें बताएं कि *-----महिलाओं के साथ वाली घरेलू हिंसा का मूल कारण क्या है ? *-----घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें अपने स्तर पर क्या करना चाहिए? *-----और आपने अपने आसपास घरेलू हिंसा होती देखी तो क्या किया?