इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?
साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?
सोमवार की सुबह जब नगर निगम सतना के वार्ड क्रमांक 22, 24 और 41 में रहने वाले लोगों ने अपने घरों के नल चालू किए तो उन्हें जिस प्रकार का पानी मिला, उसे देखकर सभी चौंक गए.सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्यूजेशन(स्काडा) सिस्टम अपनाने वाला प्रदेश का पहला जिला होने का गौरव सतना के नाम पर है, लेकिन इसके बाद भी यहां की पेयजल व्यवस्था बेहद खराब बनी हुई है. पानी की चोरी, लीकेज और मीटरिंग में सतना भले ही हाईटेक हो चुका हो फिर भी शहर की जनता को वही कीड़ा युक्त, गंदा, पीला पानी ही उपलब्ध हो पा रहा है. पानी की व्यवस्था सुधारने के नाम पर स्मार्ट सिटी मद से लगभग 18 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए, लेकिन फिर भी घरों तक आज भी बदबूदार, गंदा और छोटे-छोटे कीड़े वाला पानी ही पहुंच रहा है.तमाम लोगों ने कहा कि नगर निगम टैक्स जमा न करने पर कनेक्शन काट देता है. लोगों के घरों तक गंदा पानी पहुंच रहा है. हर बार अधिकारी सुधार की चेतावनी अधिकारियों को देते हैं, लेकिन सिस्टम कुछ दिन ही चल पाता है.नगर निगम के जलकर शाखा प्रभारी आरपी सिंह ने कहा कि कुछ वार्डों में गंदे पानी की सप्लाई के संबंध में सूचना मिली है. टीम पता कर रही है कि कहां पर लीकेज है. क्योंकि एक ही समय पर सभी जगहों में सप्लाई होती है, ऐसे में जल संसोधन गृह से गंदा पानी पहुंचने की गुंजाइश न के बराबर है. स्कॉडा सिस्टम को टंकियों में लगाया गया है. जिससे पीएच चे क होता है. घरों तक गंदा पानी पहुंचने का एक मात्र कारण पाइप लाइन फूटी हो सकती है
दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।