एड्स इस नाम से हम सभी भली भांति परिचित हैं इसका पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम ' यह एक तरह का वायरस है जिसे एचआईवी के नाम से भी जाना जाता है।यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन आज भी लोगों में एड्स को लेकर सतर्कता नहीं है।साथ ही इसे समाज में भेदभाव की भावना से देखा जाता है। एड्स के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। दोस्तों , हम सभी को एड्स को लेकर सतर्क रहना है ,साथ ही लोगों में सर्तकता लाने की भी ज़रुरत है।साथियों, एड्स का उपचार भेदभाव नहीं बल्कि प्यार है। आइये हम सभी मिलकर विश्व एड्स दिवस मनाए और लोगों में एड्स के प्रति अलख जगाए। सतर्क रहें,सुरक्षित रहें

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एड्स दिवस पर हुये विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम

शर्म को ज़रा किनारे करके अपने बच्चों को AIDS के बारे में विस्तार से बताएं ताकि वो इस खतरनाक बीमारी से सुरक्षित रहे। साथियो अगर आप भी एड्स से जुडी कोई जानकारी हमसे साझा करना चाहते हैं तो फ़ोन में अभी दबाएं नंबर 3 का बटन और रिकॉर्ड करें अपनी बात।

विश्व एड्स दिवस ( एक दिसंबर) पर विशेष एड्स का नियमित इलाज कराएं : मुख्य चिकित्सा अधिकारी एड्स पीड़ित की जांच गुप्त रखी जाती है जिला महिला एवं पुरुष अस्पताल तथा सीएचसी बिलग्राम और संडीला में जांच की सुविधा उपलब्ध हरदोई, 30 नवंबर 2023 । हर साल एक दिसंबर को लोगों को एड्स के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है | इस साल यह दिवस “एड्स से प्रभावित समुदायों को नेतृत्व करने देना”” थीम के साथ मनाया जा रहा है | मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रोहताश कुमार बताते हैं कि एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स), एचआईवी ( ह्यूमन इमयूनोडेफ़िशिएंसी वायरस) की एक अवस्था है , जिसमें मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को धीरे धीरे कमजोर होती जाती है | यह वायरस मनुष्य के शरीर में पाया जाता है | वह बताते है कि एड्स को छुपाना नहीं चाहिए बल्कि किसी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच और नियमित इलाज कराना चाहिए लेकिन अधिकांश लोग शर्म और संकोच के चलते अपनी जांच नहीं कराते हैं। ऐसे में वह जानकारी के अभाव में गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं। एड्स पीड़ित व्यक्ति की पहचान गुप्त रखी जाती है | उन्होंने बताया कि बुखार, थकान, सूखी खांसी, वजन कम होना, त्वचा, मुंह, आंख या नाक के पास धब्बे पड़ना और शरीर में दर्द की शिकायतआदि (एड्स) के लक्षणहो सकते हैं।इन्हें नजरअंदाज न करें | तुरंत स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच कराएं | मुख्य चिकित्सा अधिकारी बताते हैं कि जिले में जिला महिला और पुरुष अस्पताल तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) संडीला और बिलग्राम पर एड्स की जांच की जाती है। किसी भी आपरेशन अथवा रक्तदान से पूर्व संबंधित की जांच की जाती है। इसके अलावा सभी गर्भवती की भी प्रसवपूर्व जांच के दौरान एचआईवी जांच की जाती है। अगर किसी गर्भवती में एचआईवी वायरस पाया जाता है, तो उसके होने वाले बच्चे के एड्स संक्रमित होने की 20 फीसद तक की संभावनाएं होती हैं लेकिन समय पर महिला के इलाज से बच्चे का यह संक्रमण 10 फीसदी कम किया जा सकता है। वह बताते हैं कि एचआईवी वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद कम से कम तीन माह बाद बीमारी के हल्के लक्षण दिखने शुरू होते हैं। जिले में एचआईवी संक्रमण से ग्रस्त लोगों को चिन्हित करने का कार्य वर्ष 2002 से शुरू हुआ। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नॉको) के सहयोग से यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (यूपी सैक्स) के निर्देश पर जिला एड्स नियंत्रण सोसाइटी यह कार्य कर रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अब जनपद में ट्रांसजेंडर्स की भी एचआईवी जांच शुरू हो गई है | इनसेट --- यह है जिले की तस्वीर --- एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र के परामर्शदाता प्रहलाद सिंह गौर बताते हैं कि जिले में इस साल अप्रैल से नवबंर के मध्य 50 नए मरीज चिन्हित हुए हैं। वर्तमान में कुल एड्स रोगियों की संख्या 606 है। इनमें अधिकांश वे लोग हैं जो यूपी अथवा दूसरे प्रांतों के महानगरों में काम करते हैं, सेक्स वर्कर हैं अथवा इंजेक्शन से नशा लेने के आदी हैं। जिले में करीब 306 लोग ऐसे हैं, जोकि इंजेक्शन के माध्यम से नशा करते हैं। इनमें से 28 लोग एड्स पीड़ित भी हैं। इसके अलावा 409 महिला सेक्स वर्कर में से 8 और 405 समलैगिक पुरुष में से 9 लोग एड्स पीड़ित हैं। जिले में जो भी संक्रमित हैं उनमें अधिकतर प्रवासी हैं। यह लोग अपने काम-धंधे के सिलसिले में लंबे समय तक घरों से बाहर रहते हैं और संक्रमित महिला से संबंध स्थापित कर वायरस ले लेते हैं। जब तक उन्हें इसका पता लगता है तब तक वह कई लोगों को बीमारी का वायरस परोस चुके होते हैं। एसीएमओ व कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. नोमानउल्ला बताते हैं कि एड्स का संक्रमण - असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से, संक्रमित रक्त चढ़ने से, - संक्रमित मां से नवजात में, संक्रमित ब्लेड के प्रयोग से या संक्रमित सुई के प्रयोग से होता है |