*कछौना* औद्योगिक क्षेत्र सण्डीला में विस्तार की सुगबुगाहट से सैकड़ो किसानों ने शुक्रवार को जमसारा ग्राम में बैठक कर विचार विमर्श किये। किसानों ने सर्वसम्मति से तय किया, कि किसानों की भूमि व व्यावसायिक भूमिका उचित मुआवजा, परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी, जिन किसानों का घर व खेती दोनों अधिग्रहण पर उनको पुनः स्थापित किए जाएं आदि मांगों को लेकर रणनीति बनाई गई। किसानों की मांगों को पूरा न करने पर किसान बन्धु आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। बताते चलें कि सण्डीला औद्योगिक क्षेत्र राजधानी लखनऊ के निकट होने के कारण उद्यमियों की पसंद का क्षेत्र बन गया है, जहां पर नामी ग्रामी कंपनियां बर्जर, हल्दीराम, आईटीसी आदि कंपनियां अपने उद्योग स्थापित कर रहीं हैं। सरकार द्वारा बेहतर सुविधा उपलब्ध कराए जाने के कारण उद्यमियों का बेहतर हब बन गया है। लेकिन वर्तमान समय में भूमि की उपलब्धता की कमी होने के कारण यूपीसीडा अन्य औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार करने की कार्य योजना बनाई हैं। जिसमें मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्र के ग्राम सभा रैंसों, जमसारा, बघुआमऊ, समोधा के किसानों की 750 एकड़ भूमि अधिग्रहण की जाएगी। जिससे लगभग दो हजार किसानों के परिवार प्रभावित होंगे। उनके कई पीढियों के पूर्वजों की गाड़ी कमाई से अर्जित भूमि, अधिग्रहण से छूट जाएगी। इस सूचना से किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। विभिन्न आशंकाओं से किसानों ने जमसारा में शुक्रवार को बैठक की। किसानों ने बताया 12 वर्षों से क्षेत्र का कोई सर्किल रेट नहीं बढ़ा है। जबकि यूपीसीडा किसानों की अधिग्रहण भूमि का सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा देने का प्रावधान है। जबकि वर्तमान समय में इस क्षेत्र की भूमि की कीमत काफी है, मुआवजा राशि काफी कम होगी। जमीन की कीमत धीरे-धीरे काफी बढ़ गई है, जमीन की उपलब्धता नहीं है। किसानों के सामने पुनः स्थापित होने का संकट खड़ा हो जाएगा। किसानों ने बताया उनकी विभिन्न मांगे हैं। उनको उचित मुआवजा दिया जाए। परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी, जिसका घर व खेती दोनों प्रभावित होने पर उन्हें उचित मुआवजा के साथ घर बनाने को दिया जाए आदि मांगों को लेकर शासन प्रशासन से गुहार लगाने के बाद मांगे पूरी न होने पर किसान आंदोलन के लिए विवश होंगे। इस बैठक में किसान यूनियन के पदाधिकारी लक्ष्मी शंकर अस्थाना, संतनाम सिंह, धर्मेंद्र सिंह, बेचेलाल, मुन्नीलाल वर्मा, दयाराम, राजेश, नरेश, संजय, राम नरेश आदि सैकड़ों किसानों ने बैठकर राजनीति बनाई। यूपीसीडा किसानों के आपस में समन्वय न होने से किसानों में काफी आक्रोश है।