मजदूरों की जान जोखिम में डालने के लिए पहले कंपनी और फिर शासन प्रशाशन है,क्योंकि कंपनी की जुमेदारी होती है कि हमारे वर्क्स नीचे जा रहे है उनकी जिंदगी और मौत का जुमेदारी कंपनी की होनी चाहिए,मजदूरों के भी घर वाले होते है।