बुखार में मौसमी जूस पीने से मिलने वाले फायदे

मुंह में रात भर तुलसी का पत्ता रखकर सोने से होने वाले फायदे

सेहत का खजाना है यह देसी पत्ता

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि आंदोलन के योगदान का पुनर्मूल्यांकन करने का एक महत्वपूर्ण पहलू उन सभी महिलाओं की यात्रा है जो अपनी आवाज उठाने के लिए साहसी हैं । आजाद नारी खोज एक सामाजिक आंदोलन है जो महिलाओं को सशक्त बनाने का प्रयास करता है । उन महिलाओं को याद करते हैं जिन्होंने अपने जीवन में विशिष्टता और साहस की शक्ति दिखाई है , जिसके परिणामस्वरूप एक ऐसा समाज बना है जो सकारात्मक परिवर्तन को प्रेरित कर रहा है ।

सुनिए एक प्यारी सी कहानी। इन कहानियों की मदद से आप अपने बच्चों की बोलने, सीखने और जानने की क्षमता बढ़ा सकते है।ये कहानी आपको कैसी लगी? क्या आपके बच्चे ने ये कहानी सुनी? इस कहानी से उसने कुछ सीखा? अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार कहानी, तो रिकॉर्ड करें फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

कस्बे में बहुरूपिए को देखते ही जुटी बच्चों की भीड़ खजनी गोरखपुर।। कस्बे में जोकर के वेश में एक बहुरूपिया घूमता मिला। अपने मुंह से लंगूर (काले बंदर) की आवाजें निकालते हुए जैसे ही छलांग लगाता था। बच्चे पीछे हट जाते थे।वह अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए घरों और दुकानों में पहुंच कर लोगों से पैसे मांगता हुआ घूम रहा था। पूछने पर उसने बताया कि उसका नाम राजू है और वह दिल्ली से आया है, साथ ही यह भी बताया कि उसके गुरू किसन बहुरूपिया हैं और उनका यू-ट्यूब चैनल भी इसी नाम से चलता है। देखने पर पता चला कि हजारों की संख्या में लोग इनसे मनोरंजन पा रहे हैं। अपनी कला से स्थानीय लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने और उनसे कुछ रूपए कमाना ही इनका रोजगार है। बंदर, भालू, जोकर, शंकर, अघोरी, राक्षस, अपराधी और रामायण तथा महाभारत काल के पात्रों के रूप बनाना इनका पेशा है। पेट की खातिर या यूं कहें कि रोजी-रोटी कमाने के लिए लोग विभिन्न प्रकार के उपक्रम करते हैं। मेहनत,मजदूरी,व्यापार और नौकरी जैसे विभिन्न माध्यमों से जीविकोपार्जन के उपाय समाज में प्रचलित है। किंतु बहुरूपिया बन कर अपनी कला से रोजी-रोटी कमाने की एक बहुत ही पुरानी प्रथा रही है। पौराणिक काल और राजाओं महाराजाओं के दौर से ही देश में यह एक सदियों पुरानी परंपरा रही है। राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में आज भी बहुरूपिया कलाकारों की जमात मौजूद है। जिसमें एक ही कलाकार द्वारा विभिन्न पात्रों का हूबहू स्वांग रचकर सीमित साधन,पात्रानुकूल वेशभूषा व बोली,विषयगत हाव-भावों का मनोरंजक प्रस्तुतीकरण बहुरुपिया कला को प्रदर्शित करता है। बहुरुपिया कलाकारों का अभिनय इतना स्वाभाविक होता है कि असल और नकल में भेद कर पाना मुश्किल हो जाता है। अमूमन बहुरुपिया कलाकार जो ‘मेकअप’ करते हैं, उसे ‘रंगोरी’ कहा जाता है। इसके लिए ये स्वयं रंगों का निर्माण करते हैं। प्राकृतिक पदार्थों से रंग बनाना इनकी गोपनीय कला है, जिसके बारे में ये ही जानते हैं। कला प्रदर्शन के बाद रंग उतारने के लिए ये एक विशिष्ट प्रकार का ‘रिमूवर’ बनाते हैं, जिसे इनकी भाषा में ‘उतरहट’ कहा जाता है। विशेष बात तो यह है कि साज-सज्जा करने के लिए ये कलाकार आपस में अपनी गोपनीय कला नहीं बताते हैं।

भारत गंभीर भुखमरी और कुपोषण के से जूझ रहा है इस संबंध में पिछले सालों में अलग-अलग कई रिपोर्टें आई हैं जो भारत की गंभीर स्थिति को बताती है। भारत का यह हाल तब है जब कि देश में सरकार की तरफ से ही राशन मुफ्त या फिर कम दाम पर राशन दिया जाता है। उसके बाद भी भारत गरीबी और भुखमरी के मामले में पिछड़ता ही जा रहा है। ऐसे में सरकारी नीतियों में बदलाव की सख्त जरूरत है ताकि कोई भी बच्चा भूखा न सोए। आखिर बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं।स्तों क्या आपको भी लगता है कि सरकार की नीतियों से देश के चुनिंदा लोग ही फाएदा उठा रहे हैं, क्या आपको भी लगता है कि इन नीतियों में बदलाव की जरूरत है जिससे देश के किसी भी बच्चे को भूखा न सोना पड़े। किसी के व्यक्तिगत लालच पर कहीं तो रोक लगाई जानी चाहिए जिससे किसी की भी मानवीय गरिमा का शोषण न किया जा सके।

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मारवाड़ी युवा मंच द्वारा तीन दिवसीय निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का हुआ शुभारंभ। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो को पूरा सुने धन्यवाद।