मोबाइल वाणी और माय कहानी का एक ख़ास पेशकस आपके लिए कार्यक्रम भावनाओं का भवर जहाँ हम सुनेंगे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने से जुड़ी कुछ जानकारियां. तो चलिए आज की कड़ी में सुनते हैं कि लड़कियों और महिलओं के साथ सम्मानपूर्वक वर्ताव सही मायने में कैसा होना चाहिए।साथ ही आप बताएं कि आपके अनुसार महिलाओं को एक मंनोरंजन या लेनदेन के सामान जैसा देखने की मानसिकता के पीछे का कारण क्या है ? आपके अनुसार महिलाओं को एक सुरक्षित समाज देने के लिए क्या किया जा सकता है ? और किसी तरह की बदसलूकी के स्थिति में हमें उनका साथ किस तरह से देना चाहिए ? साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। https://www.youtube.com/@mykahaani

खजनी गोरखपुर।। महिलाओं और बाल हितों की रक्षा के लिए जन जागरूकता बढ़ाने, सभी क्षेत्रों में महिलाओं की सक्रीयता और भागीदारी बढ़ाने तथा उनके मान सम्मान, स्वाभिमान की रक्षा के लिए निर्भया सेना निरंतर कार्य करती रहेगी। उसके लिए समाज के सभी वर्गों का सहयोग मिलना आवश्यक है। उक्त विचार निर्भया सेना के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश मिश्र "बाबा" ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सभी क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना कर रही हैं। फिर भी समाज में आज भी महिलाओं हितों की रक्षा नहीं हो पाती है, उन्हें महिलाओं से जुड़े विभिन्न अपराधों का भी सामना करना पड़ रहा है। विकसित देशों की तुलना में अपने देश में भी नारी शक्ति जब तक सशक्त और सुरक्षित नहीं होगी समाज और राष्ट्र का विकास नहीं हो सकता। अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एन.ई. रेलवे के मुख्य विद्युत इंजिनियर बी.राय ने कहा कि बच्चे राष्ट्र की नींव हैं उनके अधिकारों की रक्षा और उन्हें सशक्त बनाने के लिए कार्य करना चाहिए, निर्भया सेना महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में बेहतरीन प्रयास कर रही है। इस दिशा में संस्था के संस्थापक अध्यक्ष के प्रयासों की जितनी भी सराहना की जाए कम है। कार्यक्रम का संचालन सेवा निवृत्त प्राचार्य डॉक्टर रविन्द्र नाथ मिश्र ने किया। कार्यक्रम को एन.ई. रेलवे गोरखपुर आरआरसी अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता सहायक श्रमायुक्त रिपुसूदन मिश्र, एनई रेलवे गोरखपुर के मुख्य कार्मिक अधिकारी प्रशासन अवधेश कुमार एनई रेलवे गोरखपुर के सहायक सचिव जन परिवेदना अरूण कुमार एनई रेलवे गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा निदेशक डॉक्टर बी.एन.चौधरी एन.ई. रेलवे गोरखपुर के मुख्य सुरक्षा आयुक्त अजीत कुमार वरनवाल, बीएसएनएल के महाप्रबंधक बालमुकुंद, प्रकाश मल्ल, रामशरण सहित अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा बाल हित संरक्षण सम्मान पत्रिका की वार्षिक पत्रिका का सामुहिक विमोचन किया गया। इससे पूर्व सभी आगंतुक अतिथियों और स्थानीय पत्रकारों को फूल माला पहनाकर अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट देकर सम्मानित किया गया। आयोजन का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं संस्थापक अध्यक्ष द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप जलाकर किया गया। इस दौरान स्थानीय विद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत, व्याख्यान एवं नृत्य आदि सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस अवसर पर मंडल प्रभारी अशोक मिश्रा, हेमेंद्र मिश्रा, संगठन मंत्री नसरीन फात्मा जिलाध्यक्ष अरविन्द त्रिपाठी उपभोक्ता हित संरक्षण मंच की जिलाध्यक्ष संध्या त्रिपाठी, कंचन त्रिपाठी, रिंकी सिंह, आशा सिंह, शिवानी, अभय कुमार, उपाध्यक्ष अनिल कुमार वर्मा व्यापार मंडल अध्यक्ष रामवृक्ष वर्मा,शेषमणि पांडेय, राजेश जायसवाल, रामसिंह वर्मा, मनोज यादव, संदीप गुप्ता, अमितेश शर्मा, गोरख निगम, योगेन्द्र पांडेय, भाग्यवानी वर्मा, सुधा, दीपक निगम, दिवाकर त्रिपाठी, राजकुमार मौर्या सहित बड़ी संख्या में संस्था के पदाधिकारी एवं स्थानीय गणमान्य लोग मौजूद रहे।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से ताराकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लड़कियों और महिलाओं का गायब होना कई देशों के सामने एक गंभीर और व्यापक समस्या है। ऐसा होने के कई कारण हैं, जिनमें मानव तस्करी, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, जबरन शादी और आर्थिक कठिनाई शामिल हैं। मानव तस्करी के मामले में लड़कियों और महिलाओं को बेहतर जीवन के झूठे वादों के तहत बहकाया जाता है। और फिर उन्हें यौन शोषण, जबरन श्रम या अन्य अवैध काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। घरेलू हिंसा भी एक प्रमुख कारण है जहाँ महिलाएँ और लड़कियाँ अपने सुरक्षित वातावरण से बचने की कोशिश करती हैं लेकिन ऐसा करने में असमर्थ होती हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लड़कियों और महिलाओं का लापता होना एक गंभीर समस्या है। यह समाज में चिंता का विषय है। इस समस्या के प्रमुख कारण हैं - मानव तस्करी,घरेलू हिंसा,जबरन विवाह और सामाजिक दबाव। लड़कियों और महिलाओं को मानव तस्करी द्वारा वैश्यावृति,बंधुआ मजदूरी सहित अन्य कार्यों के लिए बेचा जाता है। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं अपने घर से भागने को मजबूर होती हैं

तीन साल में गायब हुईं 13 लाख लड़कियां-महिलाएं, मध्य प्रदेश से सबसे ज्यादा, यह बात सरकार ने संसद में बताई है। देश में लड़कियों और महिलाओं के गायब होने के लेकर हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। 2019 से 2021 के बीच के इन आंकड़ों को सरकार ने संसद में पेश किया है और सदन में बताया है कि किस राज्य में कितनी लड़कियां-महिलाएं गायब हुई हैं। देश में लड़कियों और महिलाओं के गायब होने का सिलसिला थम नहीं रहा है। अलग-अलग राज्यों में हर साल हजारों की संख्या में लड़कियां और महिलाएं लापता हो रही हैं। ये कहां जा रही है, क्या कर रही है, इनके साथ क्या हो रहा है यह किसी को नहीं पता है। पिछले हफ्ते संसद में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इन्हीं से जुड़े कुछ आंकड़े पेश किए गए हैं, जो यह बताते हैं कि 2019 से 2021 के बीच तीन साल में पूरे देश में 13.13 लाख से अधिक लड़की और महिलाएं गायब हुई हैं। सरकार की ओर से संसद में दी गई जानकारी के अनुसार लापता होने वालों में 10,61,648 लड़कियों और महिलाओं की उम्र 18 साल से अधिक थी जबकि 2,51,430 की उम्र 18 साल से कम रही है। लड़कियों के लापता होने के मामले में मध्य प्रदेश पहले स्थान पर जबकि पश्चिम बंगाल दूसरे नंबर पर है। सूची में राजधानी दिल्ली का भी नाम शामिल हैं। गायब होने के मामले में ओडिशा, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर राज्य भी पीछे नहीं देश के बाकी केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में दिल्ली में सबसे अधिक लड़कियां गायब हुई हैं। सरकार ने संसद में बताया है कि देशभर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई पहल की गई है। जिसमें यौन अपराधों को रोकने के लिए पहले के कानूनों में संशोधन कर उन्हें और कठोर बनाया गया है। इसके साथ-साथ 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ रेप की घटना में दोषी को मृत्यूदंड समेत और कई कठोर दंडात्मक प्रावधान भी तय किए गए हैं। महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से दुनियां भर के देशों में 1.नॉर्वे 2.फिनलैंड 3. आइसलैंड 4.डेनिश 5.लक्जमबर्ग 6.सिंगापुर 7.स्वीडन 8.ऑस्ट्रिया 9.यूनाइटेड किंगडम (इंग्लैंड) 10. नीदरलैंड इस सूची में शामिल हैं। वहीं 170 देशों की इस सूची में वर्ष 2021 में भारत 148वें स्थान पर रहा है। साथियों अहम प्रश्न यह है कि देश की जनता को जाति धर्म के आधार पर बांटने के प्रयास में लगा विपक्ष भी इन मौलिक मुद्दों पर कोई बहस नहीं करता। परिवार की माताओं बहनों, बहूओं और बेटियों अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस्तेमाल करने वाला विपक्ष इस मुद्दे पर खामोश रहता है। जबकि लैंगिक भेदभाव समेत तमाम दुश्वारियों और झंझावातों का सामना करते हुए भी देश की महिलाएं लगातार अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए पुरूषों को आइना दिखाने में लगी हुई हैं। एक ऐसा महाबली पुरुष समाज जो कि महिलाओं को इस्तेमाल तो करता है किन्तु उन्हें उनके हक़, बराबरी और सुरक्षा नहीं देता। आप को बता दें कि अभी पेरिस में चल रहे विश्व ओलंपिक 2024 में देश के लिए पहला कांस्य पदक जीतने वाली मनु भाकर ने रविवार को 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग के महिला वर्ग के फ़ाइनल में तीसरा स्थान पाया है। 145 करोड़ की आबादी वाले अपने देश को यह गौरव दिलाने वाली एक महिला ही है। विकसित राष्ट्र बनने का सपना देख रहे अपने देश को सबसे पहले महिलाओं के साथ हो रहे सभी प्रकार के भेदभाव को मिटाना होगा उन्हें बराबरी का दर्जा देने के साथ ही उनकी निजता का सम्मान करते हुए आगे बढ़ने का हर अवसर देना होगा और इसकी पहली शुरुआत देश के हर नागरिक को करनी होगी। साथियों मोबाइल वाणी का मानना है कि "बोलेंगे तो बदलेगा" इसलिए यह विचार और सुझाव आप को कैसा लगा हमें जरूर बताएं।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

तमाम दावों के बाद भी सच्चाई यही है कि आज भी देश में महिलाएँ और लड़कियां गायब हो रही है और हमने एक चुप्पी साध राखी है। दोस्तों, महिलाओं और किशोरियों का गायब होना एक गंभीर समस्या है जो सामाजिक मानदंडों से जुड़ी है। इसलिए इसे सिर्फ़ कानूनी उपायों, सरकारी कार्यक्रमों या पहलों के ज़रिए संबोधित नहीं किया जा सकता। हमें रोजगार, आजीविका की संभावनाओं की कमी, लैंगिक भेदभाव , जैसे गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसकी रोकथाम के लिए सोचना होगा। साथ ही हमें लड़कियों को शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- लड़कियों को मानसिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- आप इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं? साथ ही आप सरकार से इस मुद्दे पर क्या अपेक्षाएं रखते हैं? *----- आपके अनुसार लड़कियों और महिलाओं को लापता होने से बचाने के लिए क्या किया जा सकता है?

महिलाओं को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या और बाल विवाह जैसी हिंसा लैंगिक असमानता का एक भयानक रूप है। यह हिंसा महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाती है और उन्हें डर और असुरक्षा में जीने के लिए मजबूर करती है। लैंगिक असमानता गरीबी और असमानता को बढ़ावा देती है, क्योंकि महिलाएं अक्सर कम वेतन वाली नौकरियों में काम करती हैं और उन्हें भूमि और संपत्ति जैसे संसाधनों तक कम पहुंच होती है। दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं? *-----आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए भविष्य में क्या-क्या तरीके अपनाएँ जा सकते हैं? *-----साथ ही, लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से क्या प्रयास कर सकते हैं?

हिंसा महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा का प्रभाव व्यापक और व्यापक है। यह गंभीर है और पीड़ितों के शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है जिसमें मामूली यौन संचारित रोग और गर्भावस्था से संबंधित जटिलताएं शामिल हो सकती हैं।महिलाओं पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है, जैसे कि अवसाद, चिंता और आत्महत्या के विचार, और इसके प्रभाव सामाजिक और आर्थिक स्तरों पर भी स्पष्ट हैं क्योंकि यह महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सामाजिक भागीदारी को सीमित करता है। इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें कानूनी सुधार जागरूकता अभियान और सरकार, गैर सरकारी संगठनों और समाज के सभी वर्गों द्वारा सहायता सेवाएं शामिल हैं।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...