गोरखपुर। भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया “भाई “ द्वारा पारंपरिक लोक गीतों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु आयोजित “के बनी माटी के लाल “ सीजन 5 का ग्रैंड फिनाले 11 फ़रवरी को सायं 6 बजे से बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में किया जा रहा है , इस कार्यक्रम में टॉप 5 के बीच प्रतियोगिता के बाद विजेता को नक़द रु 25000/- का पुरस्कार दिया जाएगा कार्यक्रम में विशेष रूप से सुप्रसिद्ध गायक / अभिनेता मनोहर सिंह एवं लोक गायिका अलका सिंह पहाड़िया भी उपस्थित हो अपनी प्रस्तुति देंगें। इस भव्य आयोजन के मुख्य अतिथि प्रो पूनम टंडन ,कुलपति , दीदउ , गो वि वि होंगी , कार्यक्रम में अध्यक्ष के रूप में डॉ मंगलेश श्रीवास्तव उपस्थित रहेंगे एवं बतौर विशिष्ट अतिथि सहजानंद राय, क्षेत्रीय अध्यक्ष भाजपा होंगे । यह जानकारी देते हुए भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि “भाई” भोजपुरी में व्याप्त अश्लीलता के विरुद्ध एक अभियान के अन्तर्गत नई पीढ़ी को पारंपरिक लोकगीतों से जोड़ने का कार्य कर रही है साथ ही नई प्रतिभाओं को मंच भी उपलब्ध करा रही है । इस भोजपुरी रियलिटी शो के प्रति पूर्वांचल के नवोदित कलाकारों में काफ़ी उत्साह है।

गोरखपुर।धर्मशाला बाजार के निर्दल पर्षद बबलू प्रसाद गुप्ता उर्फ छट्ठी लाल, सपा पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी और निर्दल पार्षद सौरभ विश्वकर्मा समेत 12 पार्षद भाजपा में हुए शामिल । नगर निगम के 12 पार्षदों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। लखनऊ स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय पर दोनों डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में इन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।सदस्यता ग्रहण करने वालों में समाजवादी पार्टी के विश्वजीत त्रिपाठी सोनू, निर्दल पार्षद असद गुफरान, अरविंद, रीता, सतीश चंद, सरिता यादव, मीना देवी, छोटेलाल, दिनेश उर्फ शालू, जयंत कुमार, बबलू गुप्ता उर्फ छट्टी लाल, भोला निषाद, माया देवी, समीना (बसपा) सौरभ विश्वकर्मा शामिल रहे। इसमें विश्वजीत त्रिपाठी सपा से कार्यकारिणी सदस्य भी हैं।अब कार्यकारिणी में भाजपा के दस पार्षद हो जायेंगे। ऐसे में अब भाजपा के 56 पार्षद नगर निगम में हो गए।

गोरखपुर। परिवहन आयुक्त उत्तर प्रदेश के पत्र के क्रम में सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के उद्देश्य से, प्रदेश संयोजक, भारतीय चरित्र निर्माण संस्था द्वारा परिवहन विभाग के साथ आज आईटीएम गीडा में सेमिनार का आयोजन किया गया। प्रदेश संयोजक, भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान द्वारा सेमिनार को संबोधित करते हुए अवगत कराया गया कि, “सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मानवीय क्षति को चुनौती के रूप में लेना होगा। मनुष्य के जीवन की रक्षा करना सबसे बड़ा धर्म है। सड़क दुर्घटनाओं में काल-कवलित 50 प्रतिशत से ज्यादा युवा हैं। भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान और परिवहन विभाग, उत्तर प्रदेश ने भगवद्गीता के कर्मविज्ञान और न्यायसिद्धांत के दर्शन व शिक्षा को सड़क सुरक्षा का महत्वपूर्ण आधार मानकर लोक संवाद शुरू किया। प्रधानमंत्री मिशन कर्मयोगी योजना और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की अभ्युदय योजना एवं भगवद्गीता के कर्मविज्ञान के वैज्ञानिक दर्शन को भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान ने देश में हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण का आधार बनाया है। विश्व में समस्या व समाधान के केन्द्र में व्यक्ति के कर्म होते हैं। कर्म के केन्द्र में व्यक्ति की प्रकृति (मनोदशा) होती है। प्रकृति एक त्रिगुणात्मक विश्व व्यवस्था है। सत्, रज और तम ही प्रकृति के मुख्य गुण हैं। गीता वरण का शास्त्र है। गीता में आत्मनिग्रह की बात कही गयी है। यदि व्यक्ति आत्मंथन के द्वारा स्वयं को सद्गुणों में ढाल लेगा तो कई प्रकार की कुप्रवृत्तियों से निवृत्त होकर एकाग्रचित्त होकर उद्देश्य प्राप्त कर सकता है।”

गोरखपुर। नौ वर्ष का हरीश भी अब दूसरे बच्चों की तरह पढ़ाई लिखाई तो करता ही है, खेलकूद में भी सबसे आगे रहता है । अब वह अपने प्राइमरी स्कूल का होनहार बच्चा बन चुका है । यह सब संभव न हो पाता अगर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) सरदारनगर की टीम ने उसमें गैर संक्रामक एक्स्ट्रा पल्मनरी टीबी की पहचान समय से न की होती । टीम ने न केवल बीमारी को पहचाना बल्कि जिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाकर जांच और इलाज में मदद की । जो टीबी हरीश को दिन प्रतिदिन कमजोर बना कर पढ़ाई में बाधा पैदा कर रही थी, वह मात्र छह माह के इलाज में ठीक हो गयी । सरदारनगर ब्लॉक के शिवपुर के रहने वाले हरीश की 46 वर्षीय मां शारदा बताती हैं कि वर्ष 2022 की शुरूआत में उसके गर्दन में गांठ निकलने लगी। हल्का फुल्का बुखार भी होता था । वह कुछ खा नहीं पाता था। इससे दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था । हरीश का पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था। उसे आसपास के कई चिकित्सकों को दिखाया गया, लेकिन बीमारी की पहचान नहीं हो सकी । इलाज में करीब दस हजार रुपये खर्च भी हो गये । परिवार में आय का साधन हरीश के पिता दीनानाथ की एकमात्र कमाई है जो पेशे से इलेक्ट्रिशियन हैं। परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि हरीश को किसी उच्च चिकित्सा केंद्र में दिखाया जा सके । शारदा ने बताया कि अप्रैल 2022 में आरबीएसके की टीम ने गांव के प्राइमरी स्कूल का दौरा किया । हरीश वहां पर कक्षा तीन का छात्र था । चिकित्सक डॉ अरूण कुमार त्रिपाठी और ऑप्टोमैट्रिस्ट अमित बरनवाल ने उन्हें भी स्कूल बुलाया और बताया कि उनके बच्चे में एक्स्ट्रा पल्मनरी टीबी की आशंका है । यह टीबी एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती है लेकिन समय से इलाज न होने पर बच्चे के लिए दिक्कत बढ़ सकती है । टीम ने बच्चे को जिला क्षय रोग केंद्र ले जाकर *तत्कालीन* जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ रामेश्वर मिश्र को दिखाया । उन्होंने बच्चे को एक्स्ट्रा पल्मनरी की टीबी जांच के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर किया, जहां जांच के बाद टीबी की पुष्टि हो गयी। शारदा बताती हैं कि हरीश का इलाज 27 अप्रैल 2022 को शुरू हुआ और छह महीने में वह ठीक हो गया । दवाएं प्रति माह सरदारनगर पीएचसी से ही मिलीं । वह बताती हैं कि बच्चे के इलाज में शिक्षक कृष्णमुरारी का भी विशेष योगदान है, जिनकी मदद से ही आरबीएसके टीम द्वारा स्क्रिनिंग हो सकी । अब भी टीम हरीश का फॉलो अप कर रही है, हांलाकि उसे कोई दिक्कत नहीं है । गले की गांठ भी खत्म हो चुकी है। इलाज के दौरान 3000 रुपये खाते में भी मिले जिसकी मदद से हरीश को प्रोटीनयुक्त खानपान जैसे दूध, अंडा, सोयाबीन, फल, हरी सब्जियां आदि खिलाईं जा सकीं। *पांच बच्चों का कराया इलाज* आरबीएसके चिकित्सक डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी ने बताया कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ हरिओम पांडेय और डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना के दिशा निर्देशन में टीम ने टीबी के पांच बाल मरीजों की पहचान करवा कर इलाज की सुविधा दिलाई है । मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे, एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी और जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव के निर्देशन में प्रत्येक वर्ष टीबी स्क्रिनिंग के संबंध में आरबीएसके टीम को प्रशिक्षित किया जाता है । इससे मरीजों की पहचान करने में टीम को आसानी होती है । *ठीक हुए 337 टीबी पीड़ित बच्चे* जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव ने बताया कि वर्ष 2023 में टीबी से ग्रसित 1113 मरीज ओपीडी, एचडब्ल्यूसी, आरबीएसके टीम आदि के सहयोग से खोजे गये । इनमें से 337 बच्चे इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं । बाकी का इलाज जारी है । समय से पहचान हो जाने पर टीबी का इलाज छह माह में आसानी से हो जाता है । इलाज में देरी करने पर टीबी ड्रग रेसिस्टेंट हो जाता है, जिसका इलाज जटिल है और इसमें डेढ़ से दो साल तक का समय लग जाता है । *लक्षण दिखे तो कराएं जांच* अगर दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, लगातार कमजोरी, भूख न लगना, बलगम में खून आना, पसीने के साथ रात में बुखार जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत टीबी जांच कराई जानी चाहिए। जिले में आरबीएसके की 38 टीम कार्य कर रही हैं जो स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाती हैं। इन टीम की मदद से बाल मरीजों का इलाज कराया जा सकता है । सिर्फ गैर उपचाराधीन फेफड़े की टीबी संक्रामक होती है। वह भी इलाज शुरू होने के तीन सप्ताह बाद एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती । शरीर के बाकी अंगों की टीबी गैर संक्रामक होती है । मरीज से बिना भेदभाव किये उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करें और जनपद को टीबी मुक्त बनाएं।

दरभंगा भारत का एकमात्र शहर है, जिसके एक परिसर में दो विश्वविद्यालय हैं । पहला है कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा और दूसरा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा। आपको ये भी बता दें कि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय बिहार का पहला और भारत का दूसरा संस्कृत विश्वविद्यालय है। . यूँ तो दरभंगा में घूमने की चीज़े बहुत सी है। महाराजा कामेश्वर सिंह द्वारा निर्मित किला, स्थान और अन्य कई इमारतें और मंदिर शहर में प्रमुख पर्यटन आकर्षण के रूप में जाने जाते हैं। दरभंगा के बारे में और ज्यादा जानने के लिए सुने चलो चलें ....

भूमि पूजन समारोह 19 फरवरी को, पीएम मोदी के आने की संभावना, धरातल पर उतरेंगे 10 लाख करोड़ के एमओयू

फरवरी माह में 14 त्योहार, मौनी अमावस्या नौ को

दोस्तों, 7 फरवरी आ चुकी है और आज हम मना रहे हैं वर्ल्ड रीड अलाउड डे... और हमारे पास पहुंच चुकी हैं आपकी बहुत सारी कहानियां... सुंदर-सुंदर कविताएं और किस्से भी... तो चलिए फिर आपकी रिकॉर्ड की गई कुछ अच्छी कहानियों और किस्सों को यहां सुनाते हैं. इस खास दिन पर आप भी बच्चों को कहनियां पढकर सुनाएं और उन्हें भी कहानियां सुनाने और रिकॉर्ड करने के लिए प्रेरित करें. अपनी कविता, कहानियां रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

Transcript Unavailable.

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