सी रोग होने के कारण लक्षण एवं बचाव

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गोरखपुर में जल्द शुरू होगा सीबीजी अर्थात कंप्रेस्ड बायो गैस का उत्पादन, क्षेत्र के लोगों और किसानों को मिलेगा रोजगार बढ़ेगी आय खजनी गोरखपुर।। इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड (आइओसीएल) की ओर से धुरियापार चीनी मिल परिसर में स्थापित कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) का कामर्शियल उत्पादन जल्द ही शुरू हो जाएगा। छह अक्टूबर 2023 से इसका निरीक्षण चल रहा है। प्लांट बायो फ्यूल कांप्लेक्स के अंतर्गत प्रथम चरण में स्थापित किया गया है। दूसरे चरण में टू जी (सेकेंड जनरेशन) एथेनाल प्लांट की स्थापना की जाएगी। इस प्लांट में पराली (पुआल, गेहूं के डंठल, मक्के की डांठ,गन्ने की पत्ती) और गोबर का इस्तेमाल किया जाएगा। जिससे क्षेत्र के किसानों की आय बढ़ेगी। इस प्लांट से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग पांच हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। गुरुवार की दोपहर मंडलायुक्त अनिल ढींगरा, जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश, सीडीओ संजय कुमार मीना ने प्लांट का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद मंडलायुक्त ने यहां पर पौधारोपण भी किया। आइओसीएल की ओर से लगभग 165 करोड़ रुपये की लागत से इस प्लांट को स्थापित किया गया है। धुरियापार की बंद पड़ी चीनी मिल के 50 एकड़ परिसर में बायो फ्यूल कांप्लेक्स का शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 18 सितंबर 2019 को किया था। इस कांप्लेक्स में पहले चरण में सीबीजी प्लांट तैयार हो गया है। जबकि दूसरे चरण में 900 करोड़ रुपये से टूजी एथेनाल प्लांट का निर्माण होगा। इस प्लांट में 80 हजार घन मीटर के आठ ड्राई जैस्टर टैंक लगे हुए हैं। प्रतिदिन तैयार होगी 150 क्विंटल बायो खाद : मंडलायुक्त और डीएम को इंडियन आॅयल के अधिकारियों ने बताया कि कम्प्रेस्ड बायो गैस के उत्पादन के साथ हो यहां प्रतिदिन 150 क्विंटल बायो खाद भी तैयार होगी। रोज 230 टन कचरे से बनेगी 28 टन बायोगैस सीबीजी प्लाट में रोज 230 टन कचरे से 28 टन बायो गैस बनाई जाएगी। इसमें कच्चा माल के रूप में पराली (पुआल,गेहूं के डंठल, मक्के की डांठ,गन्ने की पत्ती) और गोबर का इस्तेमाल किया जाएगा। किसानों को सर्वाधिक फायदा:- आइओसीएल की और से निरीक्षण करने गए अधिकारियों को बताया गया कि बायो फ्यूल काॅप्लेक्स से किसानों को सर्वाधिक फायदा होगा। कच्चे माल के रूप में अब तक खेतों में जला दी जाने वाली पराली,अन्य अपशिष्ट और गोबर का प्रयोग होगा। प्लांट इन चीजों को खरीदेगा। साथ ही उत्पादन से वितरण तक विभिन्न प्रकार के रोजगार भी सृजित होंगे। किसान वेंडरों से संपर्क करके अपने खेतों की पराली बेच सकेंगे। वेंडर इसे प्लांट में पहुंचाएंगे, जिसके बाद गैस और खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके लिए गोरखपुर, महाराजगंज,कुशीनगर, देवरिया, सिद्धार्थनगर सहित आसपास के अन्य जनपदों से पराली की खरीद की जा रही है।

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