रामगढ़ ताल पहुंचा फ्लोटिंग रेस्टोरेंट। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो को पूरा सुने धन्यवाद।
Transcript Unavailable.
ऑल इंडिया मिल्ली उलेमा बोर्ड ने सोमवार को कहा कि, रमजान 1445 के महीने का चांद रविवार को सऊदी अरब में देखा गया था। इसलिए पहला रमजान 1445 कल मंगलवार 12 मार्च 2024 को होगा। इस्लाम धर्म मानने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे महीने रोजा रखते हैं और सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ भी नहीं खाते पीते हैं। रोजा के दौरान लोग सहरी करने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठते हैं और शाम को इफ्तार साथ अपना उपवास तोड़ते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को सबसे पाक माना जाता है। यह महीना चांद को देखकर निर्धारित किया जाता है। रमजान का पाक महीना इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना होता है। इसे माह ए रमजान भी कहा जाता है। रमजान के महीने में रोजा रखना, रात में तरावीह की नमाज पढ़ना और कुरान तिलावत करना शामिल है। यह महीना सभी मुसलमानों के लिए बेहद खास माना जाता है। इस साल रमजान के पाक महीने की शुरुआत आज से हो रही है। सबसे पहले सऊदी अरब में रमजान का चांद दिखाई देता है। सऊदी अरब में रमजान का चांद 10 मार्च को दिखाई दे चुका है, इसलिए वहां पहला रोजा 11 मार्च को रखा गया। वहीं भारत और पाकिस्तान में रमजान का चांद सऊदी अरब के चांद के एक दिन बाद दिखता है, इसलिए इन देशों में रमजान के रोजे की शुरुआत सऊदी अरब के एक दिन बाद से होती है। ऐसे में भारत में इस साल रमजान की शुरुआत 12 मार्च से हुई है। रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। यानी इस दौरान न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही किसी को बुरा कहें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाओं पर ठेस न पहुंचे। रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है। हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं। रमजान का रोजा 29 या 30 दिनों का होता है। इस्लाम धर्म में बताया गया है कि रमजान के दौरान रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआएं कुबूल करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का सबाब (फल) बाकी महीनों के मुकाबले कई गुना अधिक मिलता है। चांद नजर आने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सूरज के निकलने से पहले सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है और सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है।
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
फसल से लहलहाते खेतों के बीच से फाइलों में बना दी गई गांव की चकरोड। 2 लाख 58 हजार 290 रूपए की धांधली का आरोप। खजनी गोरखपुर।। ब्लॉक क्षेत्र के चरनाद गांव के डीह स्थान से छपियां गांव के सीवान तक लगभग 300 मीटर लंबे फसल से हरे भरे खेतों के बीच मिट्टी पाट कर चकरोड बनाने तथा मोहन के घर से अहिरौली सीवान तक मिटटी के काम के भुगतान के लिए कुल 2 लाख 58 हजार 290 रूपए की धांधली की गई है। इतना ही नहीं गांव में पूर्व में बने सीसी रोड और चरनाद पोखरा से नाला खुदाई के काम में भी धांधली की गई। गांव के निवासी कुलदीप तिवारी के द्वारा शपथ पत्र देकर इसकी शिकायत मुख्य विकास अधिकारी और जिलाधिकारी से की गई। ग्रामवासियों रामप्रकाश तिवारी लालजी यादव धर्मेंद्र यादव कुलदीप तिवारी मुहम्मद मुस्तफा विकास तिवारी शैलेश तिवारी विजय तिवारी के द्वारा ग्राम प्रधान बासमती देवी के प्रतिनिधि और ग्राम सभा के सचिव तथा ब्लॉक अधिकारियों की मिली भगत से हुई इस धांधली की शिकायत की गई। किंतु मामले में जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा ग्राम सभा सचिवों चैतन्य तिवारी और रामेश्वर यादव का क्लस्टर बदलने का आदेश विगत 24 जनवरी 2024 को जारी हुआ। किंतु उसका भी अनुपालन नहीं किया गया। ग्रामवासियों ने आरोप लगाया कि शिकायत के बाद जांच में लीपापोती कर दी गई। धांधली में सभी की मिली भगत है। जिले के अधिकारियों के निर्देश के बाद भी कार्रवाई नहीं होती है। इस संदर्भ में बीडीओ खजनी रमेश शुक्ला ने बताया कि आदेश के बाद क्लस्टर बदल दिया गया है। बोर्ड परीक्षा में स्टेटिक मजिस्ट्रेट की ड्यूटी पर होने के कारण ग्रामसभा सचिव अपने कार्य स्थान पर पहुंच कर चार्ज नहीं ले पा रहे थे। परीक्षाएं खत्म हो गई हैं आज ही ज्वाइनिंग कर लेंगे।
Transcript Unavailable.
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से आकांशा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत स्वतंत्र है वर्षगांठ पर हर घर , हर गली , तिरंगा फहराता है , महिला दिवस पर महिलाओं के सम्मान में बड़े - बड़े भाषण देता है । उसकी गीली बगल और तकिए को देखो , एक अलग कहानी सुनाओ , स्वतंत्र भारत की उस महिला को देखो जिसे न केवल किसी का गुस्सा फूटने पर सताया गया था ।
उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि भूख से तड़पते नवजात बच्चों के बीच शाही तमशा एक दुःखद और सोचने पर मजबूर करने वाला मुद्दा है।यह दृश्य हमें असहाय जीवन की कठिन पीड़ा के प्रति संवेदनशील बनाता है जिसे सीमित साधनों के साथ जीना पड़ता है । इस समस्या का सामना कर रहे बच्चों के भोजन , स्वास्थ्य और शिक्षा की कमी को समझ सकते हैं । इस समस्या को हल करने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना और जन समर्थन में बदलाव लाना महत्वपूर्ण है । सरकारी और सामाजिक संगठनों और सामाजिक समूहों को मिलकर इन बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली आहार ,स्वास्थ्य सुरक्षा और शिक्षा प्रदान करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए । विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
गोरखपुर में इसमें स्थान पर सबसे अधिक होते हैं सड़क हादसे तेज रफ्तार लेती है लोगों की जान