मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

पश्चिमी चम्पारण जिले के नौतन प्रखंड स्थित प्रवासी मजदूर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन स्वैच्छिक संस्था सवेरा(नौतन) द्वारा की गई.

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मेहनत, मजदूरी करने वाले और गरीबी की गर्त में जा रहे है और सरकारी/निजी विभागों में काम करने वाले लगातार अमीर होते जा रहे है... अमीरी और गरीबी के बीच एक बहुत बड़ी खाई है.

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