उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि आज भी यह देखा जा रहा है कि महिलाएं भूमि अधिकारों से वंचित है। समाज अभी भी महिलाओं के नाम पर भूमि लिखने या भूमि पर अधिकार देने का नाम नहीं ले रहा है। महिलाओं का अधिकार हर जगह पुरुषो के बराबर होना चाहिए लेकिन यह कानूनी रूप से बाध्य है कि महिलाओं को हर जगह पुरुषों के समान अधिकार होने चाहिए, फिर भी समाज महिलाओं को अधिकार नहीं दे रहा है।
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उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि घाघरा नदी का पानी उफान पर है और नदी के आस पास का क्षेत्र बाढ़ प्रभावित हो गया है। ग्रामीणों का खेत पानी में डूब गया है। मार्केट आने जाने का कोई साधन नही है। इससे लोगों को बहुत दिक्कत हो रही है। ऐसी विकट परिस्थिति में सरकार ना सहयोग कर रही है और ना ही किसी प्रकार की कोई व्यवस्था कर रही है।
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उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं समाज ने महिलाओं को भूमि से दूर रखा है, वह समाज में पुरुषों और महिलाओं को भूमि का अधिकार नहीं देता है जो असमान है। पुरुष को माता-पिता के हिस्से में भूमि विरासत में मिलती है, लेकिन महिला को पिता के हिस्से या किसी भी प्रकार की भूमि पर कोई अधिकार नहीं दिया जाता है। महिलाओं को अधिकार से वंचित कर दिया गया है।आज की तारीख में भी एक ऐसा समाज है जो महिलाओं को भूमि के अधिकार से वंचित कर रहा है। यदि भूमि की संपत्ति लिखनी है, तो वह व्यक्ति अपना नाम लिख लेता है। महिलाओं के नाम पर कोई नहीं लिखते। सरकार ने कानून के माध्यम से भूमि के अधिकार में पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार दिए हैं। भले ही महिलाओं के नाम पर जमीन लिखने के लिए कुछ पैसे माफ किए जाएं, लेकिन फिर भी समाज महिलाओं के नाम पर भूमि नहीं लिखती है, न ही यह कहीं भी भूमि में हिस्सा देती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। समान रूप से हकदार पुरुषों और महिलाओं को भूमि का अधिकार होना चाहिए। महिलाओं के नाम पर भी भूमि लिखी जानी चाहिए।
उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि मंत्रालय ने मनरेगा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को मंजूरी दी उत्तर प्रदेश में, यह कानूनी रूप से गरीब मजदूरों के लिए बाध्यकारी है कि वे अपने गाँवों में रहें और मजदूरों के रूप में जीवन यापन करें। उन्हें एक वर्ष में सौ दिनों का काम दिया जाना चाहिए ताकि वे गाँव में अपना जीवन यापन कर सकें। इसे रिकॉर्ड किया जाएगा और सभी सदस्य यदि चाहें तो गाँव में 100 दिनों का काम पूरा कर सकते हैं। यदि उन्हें काम नहीं मिलता है, तो वे बेरोजगारी भत्ता का दावा कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि समाज में भी पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव और असमानता है, लेकिन महिलाओं के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए। महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार होने चाहिए, महिलाएं खेती करती हैं, पुरुष कमाने के लिए बाहर जा रहे हैं, इसलिए देखा जा रहा है कि ज्यादातर महिलाएं खेती करती हैं। वे खेती का काम कर रहे हैं लेकिन समाज उन्हें जमीन के अधिकार से वंचित कर रहा है। लेकिन अगर देखा जाए, तो महिलाएं सबसे अधिक काम करती हैं, हर जगह महिलाओं को समान अधिकार मिलने चाहिए। जो लोग जागरूक नहीं हैं, उन्हें जागरूक किया जाना चाहिए और लोगों को यह समझाया जाना चाहिए कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक काम कर रही हैं।
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