Kendon per prasnpatr

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केला और दूध एक साथ खाने से क्या फायेदे होते है

चुटकुले

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नमस्कार दोस्तों , मैं मोहित सिंह हूँ । मैं आप सभी का मोबाइल वाणी अंबेडकर नगर न्यूज में स्वागत करता हूं । हां , दोस्तों , आज मैं फिर से आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूं जिसका शीर्षक है गजराज और मोस्कराज की कथा एक बार की बात । इस नदी के किनारे एक शहर था , एक बार बहुत बारिश हुई थी , जिससे नदी ने अपना रास्ता बदल लिया , जिससे शहर में पानी की कमी हो गई , यहां तक कि धीरे - धीरे लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा था । लोगों ने उस शहर को छोड़ना शुरू कर दिया और एक समय आया जब पूरा शहर खाली था और वहां केवल चूहे बचे थे । चूहों ने वहाँ अपना राज्य स्थापित किया । एक बार वहाँ जमीन से पानी का एक स्रोत फट गया और वहाँ एक बड़ा तालाब था । दूसरी ओर , उस शहर से कुश की दूरी पर एक जंगल था जहाँ कई जंगली रहते थे , साथ ही कई हाथी जिनके राजा गजराज नाम का हाथी था । भयंकर सूखा पड़ा था । सभी हाथी पानी के लिए रो रहे थे । भारी हाथियों की भी हालत खराब थी । हाथियों के बच्चे पानी के बिना पीड़ित थे । इस समय तक गजराज का मित्र चीन आ चुका था । वहाँ वह आया और उसने खबर दी कि बर्बाद शहर में पानी का एक तालाब है । यह सुनकर हाथी अपने बच्चों और अन्य साथियों के साथ शहर की ओर चला गया । कई हाथी उस तरफ चले गए । रास्ते में चूहों का शहर भी गिर गया । न केवल उन विशाल हाथियों के पैरों के नीचे कई चूहे मर गए , बल्कि हाथी फिर उसी रास्ते से वापस आ गए और कई और चूहे मारे गए । इसके बारे में बहुत चिंतित , उनके मंत्रियों ने मूशकराज से कहा कि महाराज , आपको जाकर गजराज से इस बारे में बात करनी चाहिए । जब गजराज खड़े थे , तब मूशकराज उनके सामने एक बड़ी चट्टान पर चढ़ गए और कहा , " गजराज को मेरा नमस्कार । मैं मूशाखराज हूँ । मैं उस बर्बाद शहर में अपनी प्रजा के साथ रहता हूँ । मुस्कुराते हुए चेहरे को ठीक से नहीं सुना जा सका , वह थोड़ा झुक गया और चूल्हे की ओर अपना काम किया और कहा , " नन्हे प्राणी , क्या तुम कुछ कह रहे थे , क्या तुम इसे फिर से कहोगे ? " दहरई मैं कस्तूरी राज हूँ , मैं उस बर्बाद शहर में अपनी प्रजा के साथ रहता हूँ । जब भी आप और आपके अन्य हाथी मित्र तालाब की ओर जाते हैं , तो कई चूहे आपके पैरों के नीचे मर जाते हैं । कृपा करें । ऐसा मत करो वरना बहुत जल्द हममें से कोई नहीं बचेगा । यह सुनकर गजराज ने दुख से कहा , मुझे नहीं पता था कि हम इतना बुरा कर रहे हैं । हम तालाब तक पहुँचने का दूसरा रास्ता खोज लेंगे । यह चूहा बहुत खुश हुआ और कहा गजराज , आपने मेरे जैसे एक छोटे से प्राणी को सुना है , मैं आपका आभारी हूं । अगर आपको भविष्य में कभी किसी मदद की ज़रूरत पड़े , तो मुझे ज़रूर बताएँ । कि यह छोटा सा प्राणी मेरे लिए कुछ उपयोगी होगा , इसलिए उसने मुस्कुराते हुए चूहे को अलविदा कहा । कुछ दिनों बाद सब कुछ ठीक चल रहा था , फिर एक बार पड़ोसी देश के राजा ने अपनी सेना को मजबूत करने के लिए एक हाथी रखने का फैसला किया । राजा के मंत्री और उनकी सेना को जंगल में कई हाथियों के पकड़े जाने की चिंता थी । एक रात गजराज जंगल में घूम रहा था , उसे चिंता हो रही थी कि अचानक उसका पैर सूखे पत्तों में छिपे जाल पर गिर गया । और वह जाल में फंस गया और हाथी जोर से चिल्लाने लगा लेकिन कोई उसकी मदद करने नहीं आया । इस बीच , एक भैंस ने हाथी की आवाज़ सुनी और वह गजराज का बहुत सम्मान करता था क्योंकि एक बार गजराज ने भैंस को गड्ढे से बाहर निकालकर उसकी जान बचाई थी । गजराज को जाल में फंसते देख वह बहुत चिंतित हो गया और बोलने लगा । गजराज , मैं तुम्हारी क्या मदद करूँ ? गजराज , अपनी जान देकर भी मैं तुम्हारी मदद करूँगा । गजराज , गजराज ने कहा , आपको जल्दी जाना चाहिए और उस बर्बाद शहर में रहने वाले मुस्कराज को मेरी मदद करने के लिए कहना चाहिए । गजराज की खबर सुनकर भैंस भागकर मुस्कराज के पास गई और उसे सब कुछ बताया । जैसे ही मुस्कराज ने यह सुना , वह अपने कई सैनिकों के साथ भैंस की पीठ पर बैठ गया और गजराज के पास गया ।

नमस्कार दोस्तों , मैं मोहित सिंह हूँ । मैं आप सभी का स्वागत करता हूं । साथियों , आज मैं फिर से आपके लिए एक मज़ेदार कहानी लेकर आया हूँ और उसका शीर्षक है " चूहा के स्वयंवर की कहानी " । गंगा नदी के तट पर एक धर्मशाला थी जहाँ एक गुरु रहते थे , वे पूरे दिन तपस्या और ध्यान में डूबे रहते थे । एक दिन जब गुरु नदी में स्नान कर रहे थे , उन्होंने एक बार अपने पंजे में एक चूहा देखा । जब बाज गुरु के ऊपर से उड़ गया , तो चूहा अचानक बाज के पंजे से फिसल गया और गुरु की मांद में गिर गया , और गुरु ने सोचा कि अगर वह चूहे को इस तरह छोड़ देगा , तो बाज उसे खा जाएगा । इसलिए उन्होंने चूहे को अकेला नहीं छोड़ा और उसे पास के बरगद के पेड़ के नीचे रख दिया और खुद को शुद्ध करने के लिए फिर से नहाने के लिए नदी में चले गए । गुरु , जिन्होंने एक छोटी लड़की को नहीं बदला और उसे अपने साथ आश्रम ले गए , आश्रम आए और अपनी पत्नी को सारी बात बताई और कहा कि हमारी कोई संतान नहीं है , इसलिए इसे भगवान के आशीर्वाद के रूप में स्वीकार करें । फिर लड़की ने स्वयं गुरु के दर्शन को देखने के लिए धर्मशाला में पढ़ना और लिखना शुरू कर दिया । गुरु ने यह देखकर कि लड़की पढ़ने में बहुत अच्छी है , उसे अपनी पत्नी को दे दिया । एक दिन गुरु जी को अपनी बेटी पर बहुत गर्व था । उसकी पत्नी ने उसे बताया कि उसकी बेटी शादी करने योग्य हो गई है । तब गुरु जी ने कहा कि यह एक खास बच्चा है । वह एक विशेष पति की हकदार है । अगली सुबह , गुरु जी ने अपनी ताकत दिखाई । गुरु जी ने सूर्य देव से प्रार्थना की और पूछा , " हे सूर्य देव , क्या तुम मेरी बेटी से शादी करोगे ? " यह सुनकर लड़की ने कहा , " पिता सूर्य देव पूरी दुनिया को रोशन करते हैं लेकिन वह असहनीय रूप से गर्म और क्रोधित हैं । " भाऊ के हैं मैं उससे शादी नहीं कर सकता , कृपया मेरे लिए एक बेहतर पति ढूंढें गुरु जी ने आश्चर्य में पूछा कि सूर्य देव से बेहतर कौन हो सकता है , इस पर सूर्य देव ने सलाह दी कि आप बादलों के राजा से बात कर सकते हैं । यह बेहतर है क्योंकि वह मुझे और मेरे प्रकाश को ढक सकता है । फिर गुरु ने अपनी शक्तियों का उपयोग किया और बादलों के राजा को बुलाया और कहा , " कृपया मेरी बेटी को स्वीकार करें । अगर तुम उससे शादी करते हो , तो बेटी ने कहा , ' पिता , बादलों का राजा काला , गीला और बहुत ठंडा है । मैं उससे शादी नहीं करना चाहती । कृपया मेरे लिए एक बेहतर पति खोजें । ' बादलों के राजा से बेहतर कौन हो सकता है ? बादलों के राजा ने गुरु जी को सलाह दी कि आप हवाओं के देवता वायु देव से बात करें , वह मुझसे बेहतर हैं क्योंकि वह मुझे कहीं भी उड़ा सकते हैं । इसके बाद , गुरुजी ने फिर से अपनी शक्तियों को काट दिया । प्रयोग करते समय , उन्होंने वायु देव को फोन किया और कहा , " कृपया मेरी बेटी के साथ शादी स्वीकार करें यदि वह आपको चुनती है " , लेकिन बेटी ने वायु देव से भी शादी करने से इनकार कर दिया और कहा , " पिता वायु देव बहुत तेज हैं । कृपया मेरे लिए एक बेहतर पति खोजें गुरुजी फिर सोचने लगे कि वायु देव से बेहतर कौन हो सकता है , इस पर वायु देव ने आपको इस बारे में पहाड़ों के राजा से बात करने की सलाह दी । उनसे बात करने के बजाय क्योंकि वे मुझे बहने से रोक सकते हैं , गुरु ने तब पहाड़ों के राजा को बुलाने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया और कहा , " कृपया मेरी बेटी को कहीं न कहीं स्वीकार करें अगर मैं चाहूं । वह आपको पसंद करती है , फिर आप उससे शादी करें , फिर बेटी ने कहा कि पहाड़ों का राजा बहुत कठोर है , वह अचल है , मैं उससे शादी नहीं करना चाहता , कृपया मेरे लिए एक बेहतर पति की तलाश करें । राजा से बेहतर कौन हो सकता है ? पहाड़ों के राजा ने गुरुजी को सलाह दी । आप चूहे के राजा से बात कर सकते हैं और देख सकते हैं कि वह मुझसे बेहतर है क्योंकि वह मुझे छेद सकता है । अंत में , गुरुजी ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया और चूहे राजा को मार डाला । लया ने कहा कि कृपया मेरी बेटी का हाथ स्वीकार करें मैं चाहती हूं कि अगर वह आपसे शादी करना चाहती है तो आप उससे शादी कर लें जब बेटी चूहे राजा से मिली , तो वह खुश थी और शादी के लिए सहमत हो गई गुरु ने अपनी बेटी को एक सुंदर चूहा दिया ।

नमस्कार दोस्तों , मैं मोहित सिंह हूँ । मैं आप सभी का मोबाइल वाणी अंबेडकर नगर न्यूज में स्वागत करता हूं । हां , दोस्तों , आज मैं फिर से आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूं और इसका शीर्षक है द स्टोरी ऑफ द ब्राह्मण एंड द स्नेक । एक समय की बात है , हरि दत्त नामक एक ब्राह्मण एक ऐसे शहर में रहता था जहाँ खेत थे लेकिन बहुत अधिक उत्पादन नहीं करते थे । एक दिन हरि दत्त अपने खेत में एक पेड़ के नीचे सो रहे थे । हरि दत्त की आंखें खुलने के बाद ही उन्होंने एक सांप को अपने दांत फैलाए बैठे देखा । ब्राह्मण को खेद हुआ कि वह एक साधारण सांप नहीं बल्कि एक देवता था । ब्राह्मण ने फैसला किया कि वह आज से इस देवता की पूजा करेगा । हरिदत्त उठा और कहीं से दूध लेने गया । उन्होंने एक मिट्टी के बर्तन में सांप को दूध पिलाया । दूध पिलाते समय , हरिदत्त ने सांप से माफी मांगी और कहा कि वह आपको आज तक एक साधारण सांप मानता था । हरिदत्त अगली सुबह अपने घर वापस आए जब वह अपने खेत में पहुंचे और कहा , " क्षमा करें , कृपया मुझे धान में बहुत सारे पैसे दें । " अगली सुबह जब वह अपने खेत में पहुँचा तो उसने उस बर्तन को देखा जिसमें उसने कल भेड़ों को दूध पिलाया था । उसमें एक सोने का सिक्का पड़ा हुआ था । हरिदत्त ने सिक्का उठाया । अब हरिदत्त हर दिन सांप की पूजा करने लगे और सांप उन्हें हर दिन एक सोने का सिक्का देने लगा । कुछ दिनों बाद , हरिदत्त को एक दूर के देश से आना पड़ा । उसने अपने बेटे को खेत में जाकर सर्प देवता को दूध पिलाने के लिए कहा । अपने पिता के आदेश से हरि दत्त का बेटा खेत में गया और सांप के बर्तन में दूध डाला । अगली सुबह जब वह सांप को दूध पिलाने गए तो उन्होंने वहां सोना देखा । हनी दत्त ने अपने बेटे का सोने का सिक्का उठाया और सोचा कि आवश्यक सांप के नोट में सोने की जमा राशि है , उन्होंने सांप के नोट को खोदने का फैसला किया , लेकिन वह सांप से बहुत डरता था । हरि दत्त के बेटे ने योजना बनाई कि जैसे ही सांप दूध पीने आएगा , वह उसके सिर पर छड़ी से मारेगा , जिससे सांप मर जाएगा । और सांप के मरने के बाद , मैं शांति से बिल खो दूंगा । सोना निकालकर मैं अमीर आदमी बन जाऊंगा । लड़के ने अगले दिन भी ऐसा ही किया , लेकिन जैसे ही उसने सांप के सिर पर छड़ी से मारा , वह नहीं मरा , लेकिन सांप को गुस्सा आ गया । उसी समय हरिदत्त की मृत्यु हो गई । जब वे लौटे तो यह देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ , इसलिए कहानी सिखाती है कि लालच का फल हमेशा बुरा होता है , इसलिए कहा जाता है कि किसी को कभी लालची नहीं होना चाहिए ।