उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से चन्द्रकान्ति शुक्ल ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि नारी शशक्तिकरण के लिए सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है। महिलाओं को अगर संपत्ति का अधिकार मिलेगा तो वे अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल बना सकती हैं और परिवार के साथ समाज का भी विकास कर सकती हैं।
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव, मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 70 प्रतिशत महिलाओं की स्थिति फगुनिया और रूपवती की तरह ही है।पुरानी परंपरा और छोटी सोच अभी भी लोगों में व्याप्त है। महिलाओं को अगर जमीन का अधिकार दे भी दिया जाए तब भी महिला अपनी मालिकाना हक़ दिखाने में असक्ष्म रहती है क्योंकि वो अपने अनुसार उस जमीन पर कार्य नहीं कर पाती है। कानून के अनुसार महिलाओं के नाम जमीन रजिस्ट्री करने का प्रावधान है लेकिन पुरुष प्रधान देश इस पर यह नहीं सोचते है की इससे महिला का विकास होता है और वो सशक्त होती है । महिला के पास अधिकार रहने के बावजूद महिला अपनी आवश्यकता अनुसार उस जमीन पर बिना प्रधान पुरुष से पूछे कार्य नहीं कर सकती है। इसका कारण अशिक्षा ही है
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से रमज़ान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से नवीन कुमार से हुई। नवीन कहते है कि बेटियों पर खर्च बहुत होता है। सरकार को जिस तरह से बेटियों को लाभ देना चाहिए उस अनुसार वो कर नहीं रहे है। पिता की संपत्ति में बेटा और बेटी को सामान हक़ मिलना चाहिए
कड़ी संख्या-18;अपनी जमीन, अपनी आवाज - सुरक्षित भूमि अधिकार: महिला सशक्तिकरण और खाद्य सुरक्षा की कुंजी
बिहार के नवादा जिले के एक गांव में रहने वाली फगुनिया या फिर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के किसी गांव में रहने वाली रूपवती के बारे में अंदाजा लगाइये, जिसके पास खुद के बारे में कोई निर्णय लेने की खास वज़ह नहीं देखती हैं। घर से बाहर से आने-जाने, काम काज, संपत्ति निर्माण करने या फिर राजनीतिक फैसले जैसे कि वोट डालने जैसे छोटे बड़े निर्णय भी वह अक्सर पति या पिता से पूछकर लेती हो? फगुनिया और रूपवती के लिए जरूरी क्या है? क्या कोई समाज महज दो-ढाई महिलाओं के उदाहरण देकर उनको कब तक बहलाता रहेगा? क्या यही दो-ढ़ाई महिलाएं फगुनिया और रूपवती जैसी दूसरी करोड़ों महिलाओं के बारे में भी कुछ सोचती हैं? जवाब इनके गुण और दोष के आधार पर तय किये जाते हैं।दोस्तों इस मसले पर आफ क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें .
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से मोहम्मद आरिफ ने मोबाइल वाणी के माध्यम से मुश्ताक से बातचीत किया। बातचीत के दौरान मुश्ताक़ ने बताया कि महिलाओं के अधिकारों के लिए सरकार ने पहले से ही कई कानून बना रखा है। महिलाओं को संपत्ति में बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से रमज़ान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मोहम्मद हुसैन से हुई। मोहम्मद हुसैन कहते है कि महिलाओं को भूमि अधिकार नहीं मिलना चाहिए। बहुत महिला ऐसी है जो अपने पति और बच्चों को छोड़ कर चले जाती है। अगर महिला ऐसा करती है और सरकार द्वारा संपत्ति का अधिकार पति या बच्चों तक दिया जाता है ,तब ही जाकर महिला को भूमि अधिकार मिलना चाहिए
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भूमि सुधार कानूनों में संशोधन करके महिलाओं के भूमि अधिकार को सुनिश्चित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, कानूनों में यह प्रावधान किया जा सकता है कि महिलाओं को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार होगा और विवाह के बाद भूमि का अधिकार हस्तांतरित नहीं होगा। सभी जमीनों का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए ताकि महिलाएं अपने भूमि अधिकारों का दावा कर सकें। तब तक दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आपके हिसाब से महिलाओं को भूमि का अधिकार देकर घर परिवार और समाज में किस तरह के बदलाव लाए जा सकते हैं? *----- साथ ही आप इस मुद्दे पर क्या सोचते है ? और आप किस तरह अपने परिवार में इसे लागू करने के बारे में सोच रहे है ?
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मोहम्मद इब्राहिम से हुई। मोहम्मद इब्राहिम यह बताना चाहते है कि महिलाओं को भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए। माहौल को देखते हुए लोग बच्चियों को शिक्षा प्राप्त करने हेतु ज्यादा दूर नहीं भेजना चाहते है इसीलिए सरकार द्वारा जगह - जगह विद्यालय की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि गाँव की बच्चियां भी पढ़ - लिख सके।
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से राकेश श्रीवास्तव से हुई। राकेश कहते है कि शहरी क्षेत्र में परिवार वाले लड़कियों को शिक्षा के प्रति जागरूक करते है और उन्हें आगे बढ़ाने में प्रोत्साहित करते है। वही ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल दूर होने के कारण लड़कियों को पढ़ने नहीं भेजा जाता है और उन्हें घर के कार्य करने तक ही सीमित रखते है। उनकी सोच है कि लकड़ियों को घर देखना है पढाई कर के करेंगी ही क्या। सरकार की ओर से कई सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जा रही है लेकिन अभिभावकों को जागरूक करना ज़रूरी है। ताकि वो बच्चियों को पढ़ाई में आगे बढ़ाए। सरकारी योजना की जानकारी होनी चाहिए ताकि वो इसका लाभ कैसे ले पाए। क्योंकि वो जागरूकता के अभाव में सरकारी सुविधा तक पहुँच नहीं पाते है। ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों के लिए सरकार को थोड़ा ओर व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि ग्रामीण बच्चियाँ प्रतिभाशाली होती है लेकिन सुविधा की अभाव में प्रतिभा खत्म हो जाता है। आर्थिक सुविधा में सरकार स्वयं सहायता समूह शुरू किया है जिसमे महिला कार्य करती है। लेन देन कर रोजगार करती है ,लेकिन इसके विस्तार की आवश्यकता है क्योंकि सभी महिला को यह सुविधा नहीं मिल पा रहा है