उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से राजाबाबू मिश्रा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उत्तरप्रदेश और बिहार में बोरजगारी के कारण अभी पुरुषो को काम नहीं मिल पा रहा है तो महिलाओं को कहा से रोजगार कहाँ मिलेगा। पुरुष तो पैसे कमाने के लिए अपने गांव से प्रवास कर के मजद्दोरी भी कर लेते हैं। लेकिन महिलाएं प्रवासी मजदूरी का काम नहीं कर सकती है। साथ ही जहाँ तक महिलाओं की पढ़ाई की बात है तो सभी अपनी कमाई के अनुसार अपने बेटे और बेटियों को एक सामान पढ़ा रहे है। इसके लिए सरकार को भी कुछ इन्तेज़ामं करना चाहिए जिससे कि महिलाओं को अपने क्षेत्र में ही रोजगार मिल सके
मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?
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