उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से गरिमा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पक्ष-विपक्ष की कड़ी संख्या -42 केअनुसार आज की दुनियां में विकास बहुत तेजी से हो रहा है और उद्योगपति लोग गरीबों का शोषण करते हैं। गरीबों का शोषण कर के उद्योगपति मुनाफा कमाना चाहते हैं

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उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से गरिमा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पक्ष-विपक्ष कार्यक्रम के कड़ी संख्या-42 के अनुसार,उद्योगपति अपने लाभ के लिए गरीबों का शोषण कर रहे हैं। उद्योगपति अपने लाभ के लिए किसी भी तरह से गरीबों का शोषण कर रहे हैं ।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से नीलम पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पक्ष-विपक्ष कार्यक्रम लोगों को भारत की वर्त्तमान स्थिति और उनके आस-पास होने वाले गतिविधियों के बारे में जानकारी दे रहा है। कानून और व्यवस्था जनता जी भलाई के लिए बनाए जाते हैं। जनता से उम्मीद की जाती है इन नियमों और कानून का वो पालन करें। कानून तोड़ने वालों पर नियमानुसार कार्यवाई की जाएगी। इसके उलट भारतीय न्याय संहिता में किए गए हालिया बदलाव जनता के विरोध में राज्य और पुलिस को ज्यादा अधिकार देते हैं। इससे आभास होता है कि सरकार के नज़र में हर मसले पर पुलिस और कानून सही है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से नीलम पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि 'राजीव की डायरी' कार्यक्रम लोगों को बहुत पसंद आ रहा है । यह कार्यक्रम लड़कियों की शिक्षा पर विशेष बल दे रहा है। लड़कियों को शिक्षित करने के लिए हमें अपने समाज को बदलना होगा। जब तक हमारा समाज नही बदलेगा ,लड़कियां शिक्षित नही हो पाएंगी।लोगों की गंदी नज़रों से बचकर उनको स्कूल जाना पड़ता है। शिक्षा के लिए लड़कियों को घर के काम के बोझ के साथ - साथ स्कूल बैग का बोझ भी उठाना पड़ता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से नीलम पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि 'राजीव की डायरी' कार्यक्रम लोगों को बहुत पसंद आया। यह कार्यक्रम लड़कियों की शिक्षा पर विशेष बल दे रहा है।हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है,लेकिन लड़कियों को इसके लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है ।कई बार घर के काम के बोझ के साथ उन्हें स्कूल बैग का बोझ भी उठाना पड़ता है। उनके जीवन में कई बाधाएं आती हैं ।कभी लोगों की गंदी नज़रों से बचकर स्कूल जाना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो हर दिन उनके धैर्य और साहस की परीक्षा लेती है। ऐसी स्थिति में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की ज़िम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ - साथ समाज की भी है । अगर इन बाधाओं को कम करना है , तो बदलाव करना होगा। जब-तक हम अपने सोच को नही बदलेंगे तब-तक हमारे समाज और देश में लड़कियां शिक्षित नहीं हो पाएंगी।

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