अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में एक महिला क्या सोचती है... यह जानना बहुत दिलचस्प है.. चलिए तो हम महिलाओं से ही सुनते हैं इस खास दिन को लेकर उनके विचार!! आप अपने परिवार की महिलाओं को कैसे सम्मानित करना चाहेंगे? महिला दिवस के बारे में आपके परिवार में महिलाओं की क्या राय है? एक महिला होने के नाते आपके लिए कैसे यह दिन बाकी दिनों से अलग हो सकता है? अपने परिवार की महिलाओं को महिला दिवस पर आप कैसे बधाई देंगे... अपने बधाई संदेश फोन में नम्बर 3 दबाकर रिकॉर्ड करें.

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उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से नीलम पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि "राजीव की डायरी" कड़ी संख्या 20 [ आत्महत्या का ज़िम्मेदार कौन ] लोगों को बहुत पसंद आ रहा है। घरेलू हिंसा समाज में बढ़ता जा रहा है। समाज में स्त्रियों की कोई इज़्ज़त नहीं है। लड़कियां या महिलाएं चाहे जितनी भी पढ़ाई करें , वे पुरुषों के दबाव में ही रहती है। जितनी सहन क्षमता लड़कियों या महिलाओं में होती है,उतनी पुरुषों में नही होती है। लगातार घरेलू हिंसा को सहते-सहते उनकी सहनशीलता भी जवाब दे देती है और मजबूरन वो आत्महत्या करती हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

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पिछले 10 सालों में गेहूं की एमएसपी में महज 800 रुपये की वृद्धि हुई है वहीं धान में 823 रुपये की वृद्धि हुई है। सरकार की तरफ से 24 फसलों को ही एमएसपी में शामिल किया गया है। जबकि इसका बड़ा हिस्सा धान और गेहूं के हिस्से में जाता है, यह हाल तब है जबकि महज कुछ प्रतिशत बड़े किसान ही अपनी फसल एमएसपी पर बेच पाते हैं। एक और आंकड़ा है जो इसकी वास्तविक स्थिति को बेहतर ढ़ंग से बंया करत है, 2013-14 में एक आम परिवार की मासिक 6426 रुपये थी, जबकि 2018-19 में यह बढ़कर 10218 रुपये हो गई। उसके बाद से सरकार ने आंकड़े जारी करना ही बंद कर दिए इससे पता लगाना मुश्किल है कि वास्तवितक स्थिति क्या है। दोस्तों आपको सरकार के दावें कितने सच लगते हैं। क्या आप भी मानते हैं कि देश में गरीबी कम हुई है? क्या आपको अपने आसपास गरीब लोग नहीं दिखते हैं, क्या आपके खुद के घर का खर्च बिना सोचे बिचारे पूरे हो जाते हैं? इन सब सरकारी बातों का सच क्या है बताइये ग्रामवाणी पर अपनी राय को रिकॉर्ड करके

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से नीलम पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जनसंख्या के साथ - साथ हमारे देश और हमारे समाज में घरेलू हिंसा भी बहुत तेजी से बढ़ रही है । घरेलू हिंसा सभ्य समाज का एक कड़वा सच है । इस सच को झुठलाया नहीं किया जा सकता है। आज भले ही महिला आयोग की वेबसाइट पर आंकड़े कुछ भी हों,भारत में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा की संख्या कई गुना अधिक है । घरेलू हिंसा कम नहीं हो रही है और इसका मूल कारण पुरुषों की शिक्षा और उनमे विद्यमान अनेक बुराइयाँ है। घरेलू हिंसा के शारीरिक,मानसिक,मौखिक,आर्थिक और यौन शोषण सहित विभिन्न रूप हो सकते हैं।इन में अनाचार , विवाह के बाद यौन संबंध और हिंसक शारीरिक शोषण शामिल हैं ।

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