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उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला के विशेश्वरगंज प्रखंड से विशाल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से दिनेश कुमार गुप्ता से साक्षात्कार लिया। दिनेश कुमार गुप्ता ने बताया कि महिलाओं को मौलिक अधिकार मिलना चाहिए । बेटियों को पढ़ाना चाहिए।बेटियां पढ़ेंगी तो आगे बढ़ेंगी।भारत सरकार के द्वारा कई योजनाएं महिलाओं के लिए चलाई जा रही है।शिक्षित महिलाएं काम कर रही हैं। मगर अशिक्षित महिलाएं जानकारी के अभाव में कुछ नही कर पाती हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला के पयागपुर प्रखंड से विशाल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से नानबच्चा से साक्षात्कार लिया। नानबच्चा ने बताया कि महिलाओं को जमीन में अधिकार मिलना चाहिए। । बेटियों को पढ़ाना चाहिए।महिलाओं पर होने वाले अत्याचार बंद होने चाहिए

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला के पयागपुर प्रखंड से विशाल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से राम रंग शुक्ला से साक्षात्कार लिया। राम रंग शुक्ला ने बताया कि महिलाओं को जमीन में अधिकार मिलना चाहिए। इन्होने अपनी बेटियों को अधिकार दिया है। महिलाओं पर अत्याचार ख़त्म होना चाहिए

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला के हजूरपुर प्रखंड से विशाल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से राजेंद्र प्रसाद शुक्ला से साक्षात्कार लिया। राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि महिलाओं को जमीन में अधिकार मिलना चाहिए। बेटियों को पढ़ाना चाहिए।बेटियां पढ़ेंगी तो आगे बढ़ेंगी।भारत सरकार के द्वारा कई योजनाएं महिलाओं के लिए चलाई जा रही है।शिक्षित महिलाएं काम कर रही हैं। मगर अशिक्षित महिलाएं जानकारी के अभाव में कुछ नही कर पाती हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से विशाल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हमारे समाज में महिलाएं शिक्षित हैं लेकिन पैसों की कमी के कारण घर पर बैठी हुई हैं ,बाहर इंटरव्यू में जाती हैं जिसमे उन्हें बहुत पैसा लगता है जिसके कारण रोजगार नहीं मिल पाता। घर पर महिलाओं के साथ झगड़ा होता है और पारिवारिक तनाव के कारण महिलाएं जान दे देती हैं। पढ़ी लिखी महिलायें घर पर बैठी हैं पूंजी की कमी के कारण वे व्यवसाय नहीं कर पाती हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से आरती देवी से साक्षात्कार लिया।आरती देवी ने बताया कि इनको पति के जमीन में हिस्सा मिलना चाहिए। इनके पति इनको कुछ नही दे रहे हैं। न खाना और न ही जीवन यापन के लिए खर्चा। दहेज़ के लिए इनके साथ मारपीट और हिंसा भी होता है।

बेटों की चाह में बार-बार अबॉर्शन कराने से महिलाओं की सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब होने लगती है। कई मनोवैज्ञानिको के अनुसार ऐसी महिलाएं लंबे समय के लिए डिप्रेशन, एंजायटी का शिकार हो जाती हैं। खुद को दोषी मानने लगती हैं। कुछ भी गलत होने पर गर्भपात से उसे जोड़कर देखने लगती हैं, जिससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि * -------आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? * -------भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा के आपको क्या सम्बन्ध नज़र आता है ?