उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से साक्षी तिवारी मोबाइल वाणी के माध्यम से ममता से बातचीत की। बातचीत में ममता ने बताया की महिलाएं शिक्षित होने से समाज में आगे बढ़ सकती हैं और उन्हें सम्मान मिल सकता है। शिक्षित होने से महिलाएं अपने अधिकारों को जान सकती हैं।महिलाओं को उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भूमि अधिकारों के कारण उसे पिछड़ा माना जाता है। अधिकांश महिलाओं में जो सुधार हो सकता है ,वह अपने पतियों के सामने उनका सम्मान भी बढ़ा सकता है, वे अपने परिवार के प्रति भी सम्मान बढ़ा सकती हैं और हर कोई उनका अधिक सम्मान करना शुरू कर देगा। अगर उन्हें कुछ होता है तो वह जमीन होगी।

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से राजेश पाठक ने मोबाइल वाणी के माध्यम से प्रधान जी से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि महिलाओं में पहले से ही थोड़ी जागरूकता आ गई है। क्योंकि गाँव में भी साक्षरता अभियान चलाया गया था, लेकिन बीच में ही बाधित हो गई थी , उससे महिलाये शिक्षित होने लगी थी और सरकार या संविधान द्वारा तय किया कि उन्हें भी पुरुष के बराबर अधिकार होने चाहिए। महिलाये एक बंधन में बंधी हुई है,पति-पत्नी के बीच एक बंधन है, अगर वे अपनी आजीविका कमाने के लिए स्वतंत्र रूप से किसी तरह की नौकरी करती हैं, तो अपने पति से भी पूछकर अब आगे बढ़ सकती हैं और इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है। उसके अंदर बहुत कुछ है और वह भी अपने पति के अनुसार धीरे-धीरे आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है। भूमि का अधिकार मिलने से सामाजिक-आर्थिक दोनों ही रूप से बदलाव देखने को मिलेगा। क्योंकि मान लीजिए कि किसी की माँ और उसके दो बेटे हैं, पहले भूमि का अधिकार माताओं के पास नहीं था, लेकिन संविधान के अनुसार, अब भूमि का अधिकार माँ के पास है। इससे और सरकार द्वारा कई योजनाओं में वंचित होने के बजाय एक लाभार्थी बन जाती है। मान लीजिए कि महिला लंबे समय से अपने ससुराल में रह रहे हैं और पति की मृत्यु हो गई है, अगर उन्हें जमीन का अधिकार मिलता है, तो कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन अगर महिला अपने मायके में रहती है, तो अगर पति-पत्नी के बीच किसी भी तरह का विवाद होता है, तो वहां से वह दूसरी जगह जा सकती है और उस जमीन को बेच सकती है। इसलिए, कुछ दिनों के लिए उस ग्राम सभा में नागरिकता प्राप्त करने के बाद ही, जब उसके पति का उस पर विश्वास हो जाता है, तो वह उसे अपनी पत्नी दोनों के संबंध में जब चाहे जमीन का अधिकार दे सकता है और संविधान के अनुसार दोनों समान होने चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से राजेश पाठक मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि हमारा समाज पुरुष प्रधान है,यहाँ अधिनायकवाद है, इसलिए महिलाओं की स्थिति उनके नीचे कहीं दिखाई देती है। महिलाओं को भूमि का अधिकार मिले, इसके लिए मोबाइल वाणी एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम चला रहा है, बहराइच जिला के प्रयागपुर प्रखंड के अंतर्गत आने वाले टिपरा गाँव से बालमुकुंद गोविंद से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि महिलाएं अभी भी पिछड़ी हुई हैं, महिलाओं की स्थिति ऐसी है कि वे कई मायनों में अपने अधिकारों से वंचित हैं। हालाँकि, यह शिक्षा की प्रगति के साथ-साथ बढ़ रहा है। आज के समय में महिलाओं के स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम होने या न होने की तुलना में बहुत बड़ा बदलाव दिख रहा हैं। इस तानाशाह समाज में महिलाओं की स्थिति दयनीय है क्योंकि वे आज भी स्वतंत्र निर्णय नहीं ले पाती हैं, उन्हें अपने पति या भाई या अन्य लोगों से सलाह लेनी पड़ती है। अगर महिलाओं को भूमि का अधिकार दिया जाए, तो उन्हें सामाजिक और आर्थिक निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होगी

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय मोबाइल वाणी के माध्यम से प्रिया से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि महिलाएं अभी भी पिछड़ी हुई हैं महिलाओं को उनका अधिकार नहीं मिलता है। वे'खुद का निर्णय नहीं ले पाती हैं उनके लिए उनका निर्णय उनके पति या सास ससुर लेते हैं। महिलाएं भूमि अधिकार प्राप्त करके अपने जीवन स्तर और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकती हैं। भूमि का अधिकार मिलता है, तो वे अपने बच्चों को इससे आगे बढ़ाएंगे, पढ़ेंगे, शिक्षा प्राप्त करेंगे, और वे जिस स्थिति में हैं, उसे ठीक किया जाएगा, ताकि वे देश की स्थिति आगे बढ़ सकें। उन्होंने बताया कि महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों को प्राप्त करने में कई बाधाएं आती हैं। पुरुष जमीन नहीं देना चाहते क्योंकि वे महिलाओं को कभी भी अपने बराबर नहीं देख सकते। महिलाओं को भूमि अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए उन्हें शिक्षित करना बहुत जरूरी है

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय मोबाइल वाणी के माध्यम से कटरा गाँव की सरोज से बातचीत की। बातचीत में सरोज ने बताया कि महिलाएं अभी भी पिछड़ी हुई हैं और उन्हें अच्छी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। पर्दा प्रणाली उनके लिए बहुत अधिक है। उन्हें लगता है कि उन्हें बंधक बनाया जा रहा है, उन्हें कहीं जाने के लिए नहीं मिल रहा है,महिलाओं को भूमि अधिकार देने से उनके जीवन स्तर और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में कैसे सुधार हो सकता है। लेकिन अगर वह चला जाता है, तो वह अपनी जमीन से अपने बच्चों की परवरिश और शिक्षा का प्रबंध कर सकता है। हां, अगर पति गलत रास्ते पर है, तो अगर महिला के पास जमीन है, तो वह इसका इस्तेमाल कर सकती है। अपने बच्चों को सही शिक्षा दे सकते हैं, महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रभावी हो सकते हैं इसके लिए उन्हें शिक्षा के साथ अपने भविष्य के बारे में सोचना होगा, आगे बढ़ना होगा और अपने परिवार का अच्छी तरह से भरण-पोषण करना होगा।

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से विशाल सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से हमारे श्रोता रामनाथ चौहान से बात किया उन्होंने बताया की महिलाओं को भी भूमि का अधिकार मिलना चाहिए, जिस तरह से पुरुषो का हिस्सा लगता है भूमि पर उसी हिसाब से महिलाओं का भी भूमि में हिस्सा मिलना चाहिए। हमारे देश में शिक्षित महिलाएं घर के अंदर बैठी हैं ,उन्हें भी अधिकार है की वो भी बहार आये और पुरुषो के साथ कंधे से कंध मिलकर काम करे

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से विशाल सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से हमारे श्रोता मालती से बात किया उन्होंने बताया कि उनके पास आवास नहीं है

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से साक्षी तिवारी मोबाइल वाणी के माध्यम से लता से बातचीत की। बातचीत में लता ने बताया कि महिलायें अभी भी पिछड़ी हुई है और समाज में उन्हें भूमि अधिकार मिलना बहुत ही आवश्यक है। उनका कहना है की जब महिलाएं परिवार चला सकती है तो क्या भूमि अधिकार में उनका हक़ नहीं हो सकता।भूमि के अधिकार पाने के लिए महिलाओं को आगे आना होगा और अपने हक़ के लिए लड़ना होगा

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला के हुजुरपुर ब्लॉक में ग्राम सभा घिसाउना से विशाल सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से हमारे श्रोता कपिल देव सिंह से बात किया उन्होंने बताया की शादी शुदा महिलाओं का पूरा अधिकार होता है उनके भूमि पर और पैतृक संपत्ति पर भी उनका अधिकार होता है। महिलाओं को पूरा अधिकार है की वो किसी भी तरह के व्यापार या नौकरी कर के अपना जीविका चला सकती है।जिनके पति पुरानी मानसिकता वाले है वही अपने पत्नियों को घर के अंदर ही रहने देते है और उनको बाहर की दुनिया से बिलकुल अलग रखते है। पति के जीवित होने पर भी महिला का उतना ही अधिकार है भूमि पर जितना की पति के मृत्यु के बाद।

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से संध्या से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि महिलाओं को भूमि का अधिकार मिलना चाहिए। उनका कहना है की भूमि का अधिकार पाकर वो अपना जीवन अच्छे से व्यतीत कर सकते है। महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए उन्हें शिक्षा से जोड़ना होगा