हमारे देश भारत में पर्वों और त्योहार की परम्परा अति प्राचीन काल से चली आ रही है जो विभिन्न ऋतुओं में भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में सभी समुदायों के द्वारा पुरे हर्षो- उल्लास और प्रसन्नता के साथ मनाये जाते है। जी हां दोस्तों हम बात कर रहे है रामनवमी की जो की आज देश प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनायी जा रही है। रामनवमी का त्योहार जो हमारी धरोहर है और हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है यह हमारे जीवन को खुशियों और उमंग से भर देता है। हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है।सनातन मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ था। इस अवसर पर मंदिरों में विधि विधान से पूजा पाठ किया जाता है ,और शहर में श्री राम से जुड़ी विभिन्न प्रकार की मनमोहक झांकियां निकाली जाती है। मोबाइल वाणी परिवार की ओर से आप सभी श्रोताओं को रामनवमी की ढेर सारी बधाईयाँ।

जिंदगी के हर पल खुशियों से कम न हो, आप के हर दिन ईद के दिन से कम न हो, ऐसा ईद का दिन आपको हमेशा नसीब हो, जी हां दोस्तों ईद-उल-फितर जिसे आप लोग मीठी ईद के नाम से भी जानते है।आज दुनिया भर में ईद का जश्न मनाया जा रहा है और लोग एक दूसरे के गले लग कर बधाइयाँ दे रहे है और खुशियाँ बाँट रहे है। रमजान के महीने से ही ईद के जश्न की तैयारी शुरू हो जाती है । बच्चों से लेकर बड़ों बूढों तक को ईद का इंतज़ार रहता है। ईद के मौके पर ईदी दिए जाने का रिवाज है। लोग अपने करीबियों को ईद की मुबारकबाद के साथ ईदी के रूप में तोहफे देते हैं ।नए कपड़े पहनते हैं, भव्य दावतें तैयार करते हैं।ईद मुस्लिम समुदाय के खास त्योहारों में से एक है और यह रमजान के आखिरी दिन सेलिब्रेट किया जाता है। ईद हमें एकता और आपसी सौहार्द का संदेश देता है और समृद्ध समाज बनाने के लिए प्रेरित करता है।लोग इसे उत्साह और बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।तो आइये हम भी इस जश्न का हिस्सा बने और समाज में शांति-सद्भाव और अमन का सन्देश फैलाये। दोस्तों,मोबाइल वाणी परिवार की ओर से आप सभी श्रोताओं को ईद की ढेर सारी बधाईयाँ।

ऐसे मनाना होली का त्यौहार, पिचकारी से बरसे सिर्फ प्यार, यह मौका अपनों को गले लगाने का, तो गुलाल और रंग लेकर हो जाओ तैयार।होली के दिन हर जगह जश्न का माहौल होता है,भारत में होली बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है कई राज्यों में वसंत ऋतु के आगमन होते ही होली के त्यौहार की शुरुआत हो जाती हैं।होली के दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग व गुलाल लगाते हैं,घरों में तरह तरह के पकवान बनाते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं।तो आइये दोस्तों हम भी मनाये बिना पानी के गुलाल और रंगो वाली सुखी और स्वस्थ होली। मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की ओर से होली के शुभ अवसर पर आप सभी को ढेरो बधाइयां।

सिमडेगा के नीचे बाजार में शिव चर्चा हुआ तथा शिव चर्चा के बाद होली खेला गया

बानो में राधा कृष्ण मंदिर के दसवें स्थापना दिवस पर आयोजित हरि कीर्तन व यज्ञ कार्यक्रम शुक्रवार को पुर्णाहुति व नगर भ्रमण के साथ संपन्न हुआ

सिमडेगा में सिविल सर्जन डॉक्टर अजीत खलखो के निर्देश अनुसार होली पर्व के मध्य नजर विभिन्न खाद प्रतिष्ठानों व होटलों में छापेमारी अभियान चलाया गया

होली पर्व का उत्साह जरूर घरों व जाति धर्म तक सिमट गया है परंतु अभी भी होली दहन की जो पुरानी परंपरा है वह जीवित है सिमडे का शहर में 200 साल से होलिका दहन हो रहा है होली का आज से 50 साल पहले तक मात्र एक जगह नीचे बाजार के समीप होलिका दहन होता था परंतु अब होलिका दहन दो दर्जन से भी अधिक स्थानों पर होता है सिमडेगा में हर घर से लोग होलिका दहन में निकलते हैं बुजुर्ग से लेकर जवान तक बच्चों तक पहले लोग मिलजुल कर होली पर मानते थे परंतु अब होली का पर्व घर वह जाति धर्म तक सिमट कर रह गया है पहले मोहल्ला मोहल्ला में गीत गायन होता था खासकर जिन मोहल्ले में बिहारी लोग आकर बसे थे उन मोहल्ले में होली का गीत हुआ गायन रात भर चलता था परंतु धीरे-धीरे अब होली गीत का वह गायन की परंपरा समाप्त होती जा रही है

दहेज में परिवार की बचत और आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता है. वर्ष 2007 में ग्रामीण भारत में कुल दहेज वार्षिक घरेलू आय का 14 फीसदी था। दहेज की समस्या को प्रथा न समझकर, समस्या के रूप में देखा जाना जरूरी है ताकि इसे खत्म किया जा सके। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आपके क्या विचार है ? *----- आने वाली लोकसभा चुनाव में दहेज प्रथा क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

सिमडेगा के टिनगिना के पियोसोकरा में प्राकृतिक का पर्व सरहुल परंपरागत तरीके से मनाया गया पूजा के बाद सामूहिक रूप से सरहुल पर्व मनाया गया सरहुल मध्य पूर्व भारत के आदिवासी समुदायों का एक प्रमुख पर्व है

जलडेगा प्रखंड के टिकरा शिव धाम में वार्षिक पूजनोत्सव पर तीन दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान के पहले दिन कलश यात्रा निकाली गई मंगलवार को कलश यात्रा के बाद अखंड हरी कीर्तन की शुरुआत हुई