होली पर्व का उत्साह जरूर घरों व जाति धर्म तक सिमट गया है परंतु अभी भी होली दहन की जो पुरानी परंपरा है वह जीवित है सिमडे का शहर में 200 साल से होलिका दहन हो रहा है होली का आज से 50 साल पहले तक मात्र एक जगह नीचे बाजार के समीप होलिका दहन होता था परंतु अब होलिका दहन दो दर्जन से भी अधिक स्थानों पर होता है सिमडेगा में हर घर से लोग होलिका दहन में निकलते हैं बुजुर्ग से लेकर जवान तक बच्चों तक पहले लोग मिलजुल कर होली पर मानते थे परंतु अब होली का पर्व घर वह जाति धर्म तक सिमट कर रह गया है पहले मोहल्ला मोहल्ला में गीत गायन होता था खासकर जिन मोहल्ले में बिहारी लोग आकर बसे थे उन मोहल्ले में होली का गीत हुआ गायन रात भर चलता था परंतु धीरे-धीरे अब होली गीत का वह गायन की परंपरा समाप्त होती जा रही है