विश्व प्रशिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला में उद्घाटन के बाद इस बार 6 थियेटर लगे हैं।सरकारी स्तर पर मेला समापन के बाद रविवार के आपार भीड़ हुई लेकिन मेला मे आयी सैकड़ो नृत्यांगना के थम गयी पायल के झंगार के नृत्य.उन डांसरो जो थिएटर या अन्य जगहों पर नृत्यांगना करती है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

सोनपुर मेले के समापन के बाद भी लोगों की भीड़ उभर रही है. 13 नवंबर से शुरू हुई यह मेले का समापन 14 दिसंबर के होने के बाद भी मेलार्थियों की भीड़ उभर रही है. मेलार्थी अपने समर्थ के अनुसार से सामग्री जरूरत की खरीदारी कर रही है.

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मेलार्थियों को खूब भा रही मधुबनी की सिक्की कला शिल्पी सोनी लुप्त होती जा रही सिक्की कला में नया रंग भरकर कर रही जीवंत सोनपुर। 32 दिनों तक सरकारी स्तर पर लगने वाली विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला के महिला विकास निगम के प्रदर्शनी में मधुबनी की सिक्की कला मेलार्थियों को खूब भा रहा है। वहीं मेलार्थियों के बीच मधुबनी का यह कला आकर्षण का केंद्र बना है। इस कला को जानने के लिए मेलार्थियों में उत्सुकता दिखी। प्रदर्शनी में घूमने आने वाले मेलाथर्थी इस कला को बारीकी से देख कर खरीदारी कर रहे है । मधुबनी जिला के पंडौल प्रखंड के शाहपुर गांव की रहने वाली रेणु देवी ने सोनपुर मेला में समाज कल्याण विभाग के तहत महिला एवं वाल विकास निगम में हाथ के कला व शुद्ध व्यंजन के अलवा कपड़े पर एक से बढ़कर एक डिजाइन मधुवनी पेंटिंग के तहत हाथ के कला प्रस्तुति देकर कपड़े को बेच रही है वही दूसरी ओर हाथ के पुरानी परम्परा जो बिलुप्त हो रही उसे जीवंत रखते हुए सिक्की कला के एक से बढ़कर एक डिजाइन मधुवनी जिले से लाकर प्रदर्शनी भी लगाई है। रेणु, सोनी दोनों ने प्राचीन हस्तशिल्पों में से एक सीक की कला को संजोकर रखते हुए इस कला के गुर को सीखा कर अपने जैसी ही अन्य महिलाओं को भी स्वावलंबी बनाने का काम कर रही है। रेणु देवी ने बताई की स्वयं सहायता समूह के तहत जुड़कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह गुर सीखकर एक से बढ़कर सिक्की के समान बनाते है। ₹100 से लेकर ₹1000 तक के समान सिक्की के बनाकर बिक्री की जाती है। रेणु व सोनी ने बताया कि उन्होंने सिक्की कला अपनी दादी, माँ से सीखी थी। इस हस्तशिल्प कला को उन्होंने व्यवसाय का जरिया बना लिया। साथ ही इस कला के माध्यम से अपने गांव की छह दर्जन से अधिक महिलाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध कराए है। सोनी, रेणु ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटियों को भी इस हस्तशिल्प कला का प्रशिक्षण दिया है। ताकि भविष्य में भी बिहार की यह कला जीवित रह सकें। उन्होंने बताया कि इस मेला में रोटी डब्बा 800 रुपए, पंखा 200 रुपए, कान का झुमका 100 रुपए, फूड बास्केट 500 रुपए, पौती 300 से 500 रुपए रखी। घर के सजावट व पुरानी परम्परा को यदगार रखने व शौकीन लोग मेले से सक्की के बने समाग्री खरीद कर ले जा रहे हैं। रेणु देवी करती है कि वह दिल्ली, कोलकाता, पटना सहित अन्य शहरों मे जाती है जहां सरकारी स्तर पर बाजार लगती है। सोनपुर मेला सहित अन्य बजरो में जाकर सिक्की के बने सामग्री को बेचती है।यहां तक के शुद्ध भुजा, सत्तू, अचार भी मेले मे लाकर बेच रहे है।

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