दोस्तों इस तरह के बाबाओं द्वारा चलाई जा रही धर्म की दुकानों पर आपका क्या मानना है, क्या आपको भी लगता है कि इन पर रोक लगाई जानी चाहिए या फिर इनको ऐसे ही चलते ही रहने देना चाहिए? या फिर हर धर्म और संप्रदाय के प्रमुखों द्वारा धर्म के वास्तविक उद्देश्यों का प्रचार प्रसार कर अंधविश्वास में पड़े लोगों को धर्म का वास्तविक मर्म समझाना चाहिए। जो भी आप इस मसले पर क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें ग्रामवाणी पर
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीव दास साहू , रागी यानि मड़ुवा फसल में सिंचाई एवं रोग और किट नियंत्रण की जानकारी दे रहे हैं। रागी फसल से जुड़ी कुछ बातें किसानों को ध्यान में रखना ज़रूरी है। इसकी पूरी जानकारी सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा केला की रोपाई के लिए उपयुक्त समय के बारे में जानकारी दे रहे हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता शैलेंद्र सिंह ने बताया कि इस साल गर्मी बहुत गर्मी पड़ी और भीषण गर्मी का रिकॉर्ड टूट गया है। बड़े वृक्षों जैसे -पीपल, बरगद, पाकड़, गुला आदि जैसे बड़े पेड़ों की संख्या में कमी आई है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता शैलेंद्र सिंह ने बताया कि जल संरक्षण एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसके बारे में लोगों को बहुत गंभीरता से सोचना चाहिए। समाज में लोगों को लोगों को जागरूक करना चाहिए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बनारस जिले में वृक्षारोपण की जरुरत है और वर्षा की शुरुआत वृक्षारोपण के लिए सबसे उपयुक्त है।
दोस्तों, कुछ ख़ास बातों का ध्यान रखकर इस गर्मी में अपने शरीर के साथ साथ घर को भी बनाएं थोडा ठंडा ठंडा, कूल कूल | कैसे? आइये इस कार्यक्रम में जानते है |
उत्तरप्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से रमेश मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि भारत में लैंगिक असमानता आज से नहीं बल्कि बहुत पुराने समय से चल रही है। लड़कों द्वारा चार लड़कियों को दरकिनार करना प्राचीन काल से यहाँ की बुराइयों में से एक माना जाता है। भारत जैसे देश में निरक्षरता का वर्चस्व था, जहां लोग लड़कों को ही सब कुछ मानते थे, लैंगिक असमानता एक बड़ी समस्या बन गई थी। पिछले कुछ वर्षों में सरकार की नीतियों, विशेष रूप से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, को बेटियों को बेहतर वातावरण और समाज देने के लिए आगे लाया गया। आज सरकार ने व्यापक भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए हैं कि न केवल बेटी बल्कि बेटा भी सब कुछ है। आज लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है। लोग अब बेटियों को भी घर की लक्ष्मी मान रहे हैं, अगर यह स्थिति बनी रही तो लैंगिक असमानता में पीछे रह रहा भारत आने वाले कुछ समय में अन्य देशों को भी लैंगिक समानता के लिए प्रेरित करेगा।
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