भारतीय दवा नियामक प्रणाली में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इसमें एक पोर्टल जल्द ही लांच होगा। उस पर दवा निर्माताओं व सप्लायरों और प्राइमरी पैकेजिंग मैटेरियल सप्लायरों का एक डेटाबेस होगा। ड्रग कंट्रोलर के अधिकारी भी उससे जुड़ेंगे। इसको तैयार करने में कम से कम एक साल लगेगा। इसी पोर्टल के सार्वजनिक डोमेन में नॉन-स्टैंडर्ड या मिलावटी दवाओं का डेटाबेस भी होगा। अगर एक राज्य में कोई दवा प्रतिबंधित होगी तो इस पोर्टल के माध्यम से पूरे देश में इसकी जानकारी मिल जाएगी। यह जानकारी औषधि महानियंत्रक (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) राजीव सिंह रघुवंशी ने शनिवार को बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में मीडिया से बातचीत में दी। उन्होंने कहा कि पोर्टल सीडीएससीओ (केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ) अन्य मौजूदा आईटी पोर्टलों को भी एकीकृत करेगा। इसके माध्यम से एक ही विंडो पर लाइसेंस और दवाओं की अनुमति, उसकी प्रगति, प्रतिबंधित दवाओं की सूची सहित सभी जानकारियां मिल जाएंगी। ट्रॉमा के ओपीडी पर्ची पर रहेगा टोल फ्री नंबर: एडवर्स ड्रग रिएक्शन मॉनिटरिंग सेंटर (एएमसी) के फार्माकोविजिलेंस एसोसिएट अवधेश कुमार यादव ने कहा कि दवाओं का साइड इफेक्ट होने पर 1800-180- 3024 पर शिकायत कर सकते हैं। ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज प्रो. सौरभ सिंह ने कहा कि ट्रॉमा सेंटर के ओपीडी पर्ची पर यह टोल फ्री नंबर दर्ज किया जाएगा।
हमारी श्रोता मिर्ज़ा कुमारी ,वाराणसी स्वास्थ्य सहायक वाणी के माध्यम से कहती है कि उनके ग्राम में राशन तो मिलती है लेकिन मिलावट वाली राशन रहती है