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उत्तरप्रदेश राज्य के जिला वाराणसी से प्राची दुबे , मोबाइल वाणी के माध्यम से एक कविता सुना रही है।
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वाराणसी में कार्यों की पूर्ति व स्थानांतरण प्रमाणपत्र न उपलब्ध कराने और काम में रुचि नहीं लेने के आरोप में सीडीओ हिमांशु नागपाल ने गुरुवार को ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (आरईएस) के अधिशासी अभियंता समेत सभी एई व जेई का वेतन रोकने का आदेश दिया। सीडीओ ने विकास भवन में विधायक निधि, सांसद निधि, सीएसओ, पूर्वाचल विकास निधि, त्वरित आर्थिक विकास योजना के अधूरे कार्यों की प्रगति जानी। यूपी सिडको के एक्सईएन के गैरहाजिर होने पर नोटिस जारी किया। क्षेत्रीय प्रबंधक लघु उद्योग प्रयागराज के क्षेत्रीय प्रबंधक म भी पहुंचे थे। सहायक अभियंता व अवर अभियंता को कार्यों की जानकारी नहीं ह होने से क्षेत्रीय प्रबंधक का भी फरवरी का व्य वेतन रोकने को एमडी लघु उद्योग कानपुर को पत्र लिखने का निर्देश दिया।
दोस्तों, हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे।
उ प्र शासन द्वारा शिवपुर, चेतगंज और कैंट थानो के पुलीस कर्मियो के लिए मल्टीस्टोरी आवास बनाने की स्वीकृति दी गई है।
यूसूफपुर खंड पर इंटरलाक कार्य के चलते-फिरते चार दिन रिशिड्यूल होकर कामायनी चलेगी।
आईएमएस बीएचयू के डायरेक्टर प्रो. एसएन शंखवार ने कहा समाज में मिर्गी को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां हैं। ऐसे मरीजों के इलाज के लिए शोध जरूरी है। बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग और आईएएन चैप्टर की ओर से केएन उडप्पा सभागार में चार दिनी इंडियन एपिलेप्सी सोसाइटी (आईईएस) समर स्कूल के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। आईईएस प्रेसिडेंट डॉ. पी. शरद चंद्रा ने कहा कि मिर्गी को लेकर लगातार काम की जरूरत है। हम मरीजों का केवल इलाज न करें बल्कि उन्हें जागरूक करें। प्रो. विजयनाथ मिश्र ने कहा कि बीएचयू का न्यूरोलॉजी विभाग हर माह दूसरे व चौथे रविवार को सुदूर क्षेत्रों में निःशुल्क कैंप लगाया जाता है। विभाग के प्रो. आरएन चौरसिया, प्रो. दीपिका जोशी, डॉ. अभिषेक पाठक, डॉ. आनंद, डॉ. वरुण व अन्य ने शोध पर चर्चा की। कार्यक्रम में डॉ. विनीता सिंह, डॉ. प्रिया देव, निधि चंद्रा, दामिनी शुक्ला के अलावा सभी शोधार्थी मौजूद रहे।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानि की NCRB के हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में 23,178 गृहिणियों ने आत्महत्या की थी। यानी देशभर में हर दिन 63 और लगभग हर 22 से 25 मिनट में एक आत्महत्या हुई है। जबकि साल 2020 में ये आंकड़ा 22,372 था। जितनी तेज़ी से संसद का निर्माण करवाया, सांसद और विधायक अपनी पेंशन बढ़ा लेते है , क्यों नहीं उतनी ही तेज़ी से घरेलु हिंसा के खिलाफ सरकार कानून बना पाती है। खैर, हालत हमें ही बदलना होगा और हमें ही इसके लिए आवाज़ उठानी ही होगी तो आप हमें बताइए कि *---- आख़िर क्या वजहें हैं जिनके कारण हज़ारों गृहणियां हर साल अपनी जान ले लेती हैं? *---- घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें क्या करना चाहिए ? *---- और क्या आपने अपने आसपास घरेलू हिंसा को होते हुए देखा है ?
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।