झारखण्ड राज्य के कोडरमा ज़िला से पिंकी मेहता ,हेलो आरोग्य के माध्यम से कहती है कि उनके तीन बच्चे है ,दो लड़की और एक लड़का।उनके मन में पहले लड़का और लड़की में भेदभाव की भावना थी लेकिन अब कार्यक्रम सुन कर उनकी सोच बदल गई है। उन्हें समझ में आ गया है कि बेटा और बेटी में भेदभाव नहीं करना चाहिए। बेटा और बेटी को एक समान दर्ज़ा मिलना चाहिए। दोनों बच्चों को समान विद्यालय में पढ़ाएगी। बेटा पढ़ लिख कर नौकरी करता है तो अगर बेटी को शिक्षा देंगे तो वो भी नौकरी करेंगी। पहले महिलाओं को घर से बाहर निकलने नहीं दिया जाता था पर अब ऐसी रीत नहीं रही। महिला और पुरुष में कोई भेदभाव नहीं रहा ,दोनों समान रूप से आगे बढ़ रहे है