छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगाँव से वीरेंद्र गन्धर्व ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि आज विश्व आत्मकेंद्रित जागरूकता दिवस है

दुनिया भर में हर साल 15 मार्च को उपभोक्ता के हक की आवाज़ उठाने और ग्राहको को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक बनाने के लिए "विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस" मनाया जाता है। 15 मार्च, 1983 में उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने की शुरूआत कंज्यूमर्स इंटरनेशनल नाम की संस्था ने की थी।आपको बता दे की हर साल विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के लिए एक थीम बनाई जाती है कंज्यूमर्स इंटरनेशनल ने इस साल की थीम " उपभोक्ताओं के लिए निष्पक्ष और जिम्मेदार एआई "को चुना है। मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की ओर से आप सभी को "विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस"की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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देश के किसान एक बार फिर नाराज दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले साल नवम्बर 2020 मे किसानो ने केन्द्र सरकार के व्दारा लिए गए तीन कृषि कानूनों के रद्द करने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन किया था। और इसके बाद अगले साल 19नवम्बर 2021 को केन्द्र सरकार के तीनो कानून वापस ले लिए थे। आज हमारे साथ लोकंतात्रिक समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ और वरिष्ठ पत्रकार जावेद उस्मानी सर के साथ मोबाइलवाणी पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की।

सरकार को भारत रत्न देने के अलावा किसानों को उनके अधिकार भी देने चाहिए , आखिर उनकी मांग भी तो बहुत छोटी सी है कि उन्हें उनकी फसलों का बेहतर मूल्य मिले। हालांकि किसानों की इस मांग का आधार भी एम एस स्वामीनाथन समिति की सिफारिशें हैं जो उन्होंने आज से करीब चार दशक पहले दी थीं। इन चार दशकों में न जाने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करने का वादा करके न जाने कितनी सरकारें आईं और गईं, इनमें वर्तमान सरकार भी है जिसने 2014 के चुनाव में इन सिफारिशों को लागू करने का वादा प्रमुखता से किया था। -------दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, क्या आपको भी लगता है कि किसानों की मांगो को पूरा करने की बजाए भारत रत्न देकर किसानों को उनके अधिकार दिलाए जा सकते हैं? --------या फिर यह भी किसानों को उनके अधिकारों को वंचित कर उनके वोट हासिल करने का प्रयास है.

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नमस्कार छत्तीसगढ़ , राजनंद गाँव से , मैं विरेंद्र घर बाओरा हूँ । राजीव जी , आज आपने कर का मुद्दा उठाया है , जो कर सरकार लोगों से लेती है यह आवास , बिजली बिल के रूप में दिया जाता है , तो मैं यह नहीं कहता कि कर सरकार द्वारा नहीं लिया जाना चाहिए , बल्कि इसके लिए एक निर्धारण होंना चाहिए कि जो आवश्यक से अधिक कर नहीं लेना चाहिए ताकि जनता पर बोझ न पड़े | कर की छूट कई बार बड़े बड़े व्यवसायीयों जाती हैं , इसलिए यह सरकार को तय करना है कि किसे छूट देनी है , किसे नहीं , और जितना आवश्यक हो उतना कर लेना चाहिए । क्योंकि ज्यादा कर से गरीब और मजदूरों को ही समस्याएँ होती हैं , इसलिए उन्हें करों के साथ - साथ सुविधाएँ भी मिलनी चाहिए , इसलिए जो सुविधाएँ कभी - कभी बहुत कम होती हैं , अब जो कर बहुत अधिक है , वह सरकार द्वारा निर्धारित कर कम की जानी चाहिए ।

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