छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव से वीरेंदर गन्धर्व ने मोबाइल वाणी के माध्यम से भावनाओं का भंवर कार्यक्रम के अंतर्गत बताया कि एक ओर, यह सदियों से चला आ रहा है कि एक-दूसरे की ओर आकर्षित होना, उसे देखना, उसे छूना, उसका उपयोग करना एक सुखद आनंद माना जाता है। दूसरी ओर, समाज को लगता है कि पुरुष ने ऐसा किया है, तो वह चलेगा लेकिन महिला ऐसा नहीं करेगी। तनाव इसलिए आता है क्योंकि कोई पुरुष से कुछ नहीं कहता है, लेकिन महिला से समाज कहता है कि वह अशुद्ध हो गई है, आदि इसलिए तनाव आता है। इस तनाव से बचने की पहली बात है यानी जब हम एक नए युग में आए हैं, तो सबसे पहले तो आज-कल इस तरह की फिल्में मोबाइल में दिखाई जा रही हैं, टीवी पर फिल्में दिखाई जा रही हैं, जिससे इच्छा रखने वाले युवा तेजी से बढ़ रहे हैं। और समाज को इसके प्रति जागरूक होना होगा और महिलाओं पर दोषारोपण करना बंद करना होगा

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगाँव से वीरेंदर गंदर्व ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि सदियों से वो व्यक्ति समाज में रहते है , ऐसे व्यक्ति जो धन दौलत के माध्यम से कमज़ोर व्यक्ति पर भारी पड़ता है। अगर समाज एकजुट हो जाएगी तो ऐसे व्यक्ति की दादागिरी को बल नहीं मिलेगा। एकजुटता में ताकत है

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंद गाँव से वीरेंद्र , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिलायें नौकरियों से दूर इसीलिए हो गई है, क्योंकि हमारी सोच ऐसी है कि महिला को सिर्फ घर में रहना चाहिए और घर का काम करना चाहिए। महिला शिक्षित है लेकिन जागरूक नहीं है। महिलाओं में आत्मबल की कमी है जिसके कारण वह नौकरी से वंचित है। महिलाओं को शिक्षा के साथ - साथ आत्मबल भी रखना होगा। तभी उनको नौकरी मिल पायेगी। कई महिला लोगों के सामने दो शब्द नहीं बोल पाती है।

राजनैतिक सिंद्धांत औऱ प्रक्रियाओं में न्याय सबसे पुरानी अवधारणाओं में से एक है, न्याय के सिद्धांत को लेकर तमाम प्रकार की बातें कहीं गई हैं, जिसे लगभग हर दार्शनिक और विद्वान ने अपने समय के अनुसार समझाया है और सभी ने इसके पक्ष में अपनी आवाज को बुलंद किया है। न्याय को लेकर वर्तमान में भी पूरी दुनिया में आज भी वही विचार हैं, कि किसी भी परिस्थिति में सबको न्याय मिलना चाहिए। इसके उलट भारत में इस समय न्याय के मूल सिद्धामत को खत्म किया जा रहा है। कारण कि यहां न्याय सभी कानूनी प्रक्रियाओं को धता को बताकर एनकाउंटक की बुल्डोजर पर सवार है, जिसमें अपरधियों की जाति और धर्म देखकर न्याय किया जाता है। क्या आपको भी लगता है कि पुलिस को इस तरह की कार्रवाइयां सही हैं और अगर सही हैं तो कितनी सही हैं। आप इस मसले पर क्या सोचते हैं हमें बताइये अपनी राय रिकॉर्ड करके, भले ही इस मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में

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दिल्ली राज्य से प्रेम कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जो पुरुष हैं, उन्हें अपनी मानसिकता और दृष्टिकोण बदलना होगा क्योंकि यह केवल महिलाओं की जिमेदारी नहीं है। पानी की व्यवस्था करना भी पुरुषों की जिम्मेदारी है। पुरुष चाहें तो आराम से पानी की व्यवस्था कर सकते हैं। आजकल साइकिल और मोटरसाइकिल उपलब्ध हैं। विभिन्न प्रकार के वाहन हैं जिनसे पुरुष पानी की व्यवस्था कर सकते हैं, इसे केवल महिलाओं के लिए नहीं छोड़ा जाना चाहिए। अगर वे एक साथ काम कर रहे हैं तो पुरुषों को आगे आना चाहिए और महिलाओं और पुरुषों दोनों को एक साथ काम करना चाहिए।

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगांव जिला से वीरेंदर गन्धर्व ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पलटीमार की राजनीति तो पहले भी था, लेकिन आज के समय में यह बहुत बढ़ गया है। कौन नेता मंत्री कब और कौन सी पार्टी में चला जाएगा और वह फिर से अपनी पार्टी में वापस आ जाएंगे। इस प्रकार, यह पहले की तुलना में बहुत अधिक होगा। आजकल राजनीतिक तूफान चल रहा है। अगर नेता मंत्रियों द्वारा ऐसा किया जाता है, तो जनता के दिल में उनका सम्मान नहीं होता है क्योंकि जनता भी समझती है कि आज यहाँ है, कल वहाँ है, तो जनता को उतना ही चाहिए जितना वे पहले चाहते थे।

समाज कि लड़ाई लड़ने वाले लोगों के आदर्श कितने खोखले और सतही हैं, कि जिसे बनाने में उनकी सालों की मेहनत लगी होती है, उसे यह लोग छोटे से फाएदे के लिए कैसे खत्म करते हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति ने इस तरह काम किया हो, नेताओं द्वारा तो अक्सर ही यह किया जाता रहा है। हरियाणा के ऐसे ही एक नेता के लिए ‘आया राम गया राम का’ जुमला तक बन चुका है। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? आपको क्या लगता है कि हमें अपने हक की लड़ाई कैसे लड़नी चाहिए, क्या इसके लिए किसी की जरूरत है जो रास्ता दिखाने का काम करे? आप इस तरह की घटनाओं को किस तरह से देखते हैं, इस मसले पर आप क्या सोचते हैं?

मध्यप्रदेश राज्य के नर्मदापुरम जिला से राकेश कुमार यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि अगर महिला शक्ति जागृत होती है समाज समृद्ध होगा, देश समृद्ध होगा। यह सब संभव है, लेकिन इसके साथ-साथ कुछ महिलाओं को भी मानदंडों का पालन करने की आवश्यकता है। महिलाओं को शोषण से बचने के लिए, कुछ भूमिकाएँ महिलाओं द्वारा भी निभाई जाती हैं। जैसे पहनावे या शिक्षा आदि

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंद गाँव से मैं विरेंद्र , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि अपशगुन नाम का कुछ होता नहीं है , ये कुछ रूढ़िवादी लोगों ने एसा बना लिया है। सिर्फ लड़कियों के लिए अपशगुन बनाया गया है। आज कई बड़े - बड़े लोग भी एसी भूल करते है। महिलाओं को उनके अधिकार मिलना चाहिए। लड़कियों को शिक्षित करनी चाहिए ताकि वह खुद खुद अपने अधिकारों के लिए लड़ पाए।