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दिल्ली राज्य से प्रेम कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सरकार किसी भी दल का हो जनता को ये तय करना चाहिए, कि किसी भी सरकार को दूसरी बार बैठने नहीं दिया जाये। क्युकी सरकार अगर लगातार सत्ता में बानी रहती है तो उसके अंदर अहंकार की भावना आ जाती है

नए नए आजाद हुए देश के प्रधानमंत्री नेहरू एक बार दिल्ली की सड़कों पर थे और जनता का हाल जान रहे थे, इसी बीच एक महिला ने आकर उनकी कॉलर पकड़ कर पूछा कि आजादी के बाद तुमको तो प्रधानमंत्री की कुर्सी मिल गई, जनता को क्या मिला, पहले की ही तरह भूखी और नंगी है। इस पर नेहरु ने जवाब दिया कि अम्मा आप देश के प्रधानमंत्री की कॉलर पकड़ पा रही हैं यह क्या है? नेहरू के इस किस्से को किस रूप में देखना है यह आप पर निर्भर करता है, बस सवाल इतना है कि क्या आज हम ऐसा सोच भी सकते हैं?

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगांव जिला से वीरेंदर गन्धर्व ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पलटीमार की राजनीति तो पहले भी था, लेकिन आज के समय में यह बहुत बढ़ गया है। कौन नेता मंत्री कब और कौन सी पार्टी में चला जाएगा और वह फिर से अपनी पार्टी में वापस आ जाएंगे। इस प्रकार, यह पहले की तुलना में बहुत अधिक होगा। आजकल राजनीतिक तूफान चल रहा है। अगर नेता मंत्रियों द्वारा ऐसा किया जाता है, तो जनता के दिल में उनका सम्मान नहीं होता है क्योंकि जनता भी समझती है कि आज यहाँ है, कल वहाँ है, तो जनता को उतना ही चाहिए जितना वे पहले चाहते थे।

बिहार राज्य के जमुई ज़िला से प्रेम कुमार ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि राजनीति में पलटी मारना पुराने समय से चला आ रहा है। दाव देख कर नेता पलटी मारते है। राजनीति के लिए कुछ भी कर सकते है

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंद गांव से वीरेंदर , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि आज कल मंत्री पलटी मारने में आगे है। वह अचानक पार्टी बदल लेते है। जो हमारे महापुरुष है उन्होंने हमे रास्ता दिखाया है। हमे अपने अधिकार के लिए खुद लड़ना चाहिए। जब हम एक होकर लड़ेंगे तभी हमे अपना हक़ मिलेगा। आज मंत्री अपने फायदे पर ध्यान देते है।

समाज कि लड़ाई लड़ने वाले लोगों के आदर्श कितने खोखले और सतही हैं, कि जिसे बनाने में उनकी सालों की मेहनत लगी होती है, उसे यह लोग छोटे से फाएदे के लिए कैसे खत्म करते हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति ने इस तरह काम किया हो, नेताओं द्वारा तो अक्सर ही यह किया जाता रहा है। हरियाणा के ऐसे ही एक नेता के लिए ‘आया राम गया राम का’ जुमला तक बन चुका है। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? आपको क्या लगता है कि हमें अपने हक की लड़ाई कैसे लड़नी चाहिए, क्या इसके लिए किसी की जरूरत है जो रास्ता दिखाने का काम करे? आप इस तरह की घटनाओं को किस तरह से देखते हैं, इस मसले पर आप क्या सोचते हैं?