बिहार राज्य के नालंदा जिले से इंदिरा देवी ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि ये गरीब घर की लड़की हैं और इनके माता-पिता ने इनकी शादी तेरह वर्ष की उम्र में कर दिया था। कम उम्र में शादी होने के कारण एवं चार बच्चों को जन्म देने के वजह से ये कमजोर हो गईं। पति की कमाई नही होने के कारण खान-पान में बहुत तकलीफ होती थी एवं बीमारी में बहुत ज्यादा पैसा खर्च होता था।परिस्थितियों से हार न मानने के जज्बे के साथ इन्होने जीविका समूह से जुड़कर लोन लिया और रोजगार शुरू किया। समय के साथ जहाँ इन्होने अपने बिजनेस को बढ़ाया वहीं कर्ज भी वापस किया।समय के साथ इंदिरा निरक्षर से साक्षर बनी,हस्ताक्षर करना सीखा और समूह में सीएम के पद पर कार्य भी करने लगी। दो पैसे कमा कर अपने बच्चों को पढ़ाती थी। साथ ही इनका कहना है कि इन्होने जीविका समूह से जुड़ कर बाल-विवाह के विरुद्ध कार्य किया।बच्चों की शादी इंदिरा ने पढ़ा-लिखा कर सही उम्र में किया। वर्तमान में बेटी भी जीविका मोबाईल वाणी के लिए कार्य कर रही हैं।