कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान लोगों के बैंक जमा और हाथ में रखी नकदी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. यह बताता है कि महामारी के कारण इलाज पर खर्च से लोगों का अच्छा-खासा पैसा निकला है. रिजर्व बैंक की मासिक पत्रिका में अधिकारियों के एक लेख में यह कहा गया है. इसमें कहा गया है कि एक परिवार की कुल संपत्ति में बैंक जमा की हिस्सेदारी करीब 55 प्रतिशत होती है.
कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर की मार ग्रामीण क्षेत्रों के रोजगार पर भी पड़ी है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत एक साल के भीतर रोजगार में 48 फीसदी की बड़ी गिरावट आई है. मई 2020 में जहां योजना के तहत 50.83 करोड़ लोगों को काम मिला था, वहीं अब यह संख्या घटकर 26.38 करोड़ रह गई है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
देश में कोरोना संक्रमण का खतर काफी कम हो गया है, इस बीच सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य पूरा करने में जुटी है. वैज्ञानिकों का दावा है कि जब तक कोरोना वैक्सीन ज्यादा से ज्यादा लोगों को नहीं लग जाती तब तक खतरे का टाला नहीं जा सकता। पूरी जानकारी के लिए लिंक को अभी क्लिक करें।
बिहार में 45 या इससे अधिक उम्र के लोगों के टीकाकरण के लिए जिला प्रशासन की ओर से टीका एक्सप्रेस भी चलाया जा रहा है. लेकिन लोगों के बीच जागरूकता के अभाव की वजह से सरकार की पहल पूरी तरह सफल नहीं हो पा रही है. सोशल मीडिया और सुनी-सुनाई बातों के चलते इनके बीच फैली वे सारी अफवाहें हैं, जिसके चलते लोग टीकाकरण के दूर भाग रहे हैं। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
कोरोना और लॉकडाउन का सबसे अधिक असर मजदूर वर्ग पर पड़ा है. अब रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे हजारों बच्चे बालमजदूरी के दलदल में फंस चुके हैं. कोरोना काल में बड़ी तादाद में बच्चों ने अपने मां या बाप में से किसी एक या दोनों को ही खो दिया है. जिसके चलते उनपर घर चलाने की जिम्मेदारी आ गई है. वहीं कोरोना वायरस की वजह से बंद पड़े स्कूलों की वजह से रोजगार के लिए बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ छह महीने से भी अधिक समय से चल रहे आंदोलनों के बीच केंद्र ने साल 2021-22 की खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है. भाजपा और केंद्र सरकार इस मौके को किसानों के प्रति अपनी छवि सुधारने के रूप में इस्तेमाल कर रही है, जहां केंद्रीय मंत्रियों से लेकर भाजपा के नेता एवं कार्यकर्ता तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘किसान हितैषी’ बताने की होड़ में लगे हुए हैं.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
कोरोना रोगियों में ब्लैक फंगस के बाद एक और बड़ा खतरा लांग कोविड का बढ़ रहा है। ब्रिटेन में हुए ताजा अध्ययन बताते हैं कि कोरोना से संक्रमित करीब दस फीसदी लोगों को लंबे समय तक समस्या रह सकती है। लांग कोविड का मतलब यह है कि कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक कोरोना का दुष्प्रभाव जारी रहना।नेचर जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैस्टिक्स (ओएनएस) ने 20 हजार संक्रमितों पर अध्ययन में पाया कि 13.7 फीसदी लोगों में तीन महीने के बाद भी लांग कोविड के लक्षण पाए गए।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
देशभर में कोविड-19 की दूसरी लहर का प्रकोप दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, भारत में रविवार (13 जून) को 80,834 नए कोरोना के केस दर्ज हुए जबकि 3,303 लोगों की मौत हुई। इधर, कोरोना के मामलों में आई कमी को देखते हुए कई राज्यों ने संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए सख्त प्रतिबंधों में अब ढील देना शुरू कर दिया है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
मोबाइल वाणी के माध्यम से एक श्रोता जानना चाहते हैं कि क्या गर्भवती महिला और धात्री महिला कोरोना का टीका ले सकती है ?
कुसुम हासदा चिराग मोबाइल वाणी के माध्यम से जानना चाहती हैं कि कोरोना महामारी से बचने के लिए क्या उपाए है ?