पूरे देश में इस समय किसान आंदोलन चल रहे हैं. नए कृषि विधेयक से देश के अधिकांश किसान खफा हैं. और सबसे ज्यादा परेशानी इस बात की है कि नए कानून के बाद मंडियों का अस्तित्व खत्म हो सकता है. देश में 86.2 फ़ीसदी किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है और इनमें से औसतन एक किसान के लिए मंडी की दूरी तकरीबन 450 किलोमीटर जबकि नेशनल कमीशन एग्रीकल्चर फ्रेमवर्क ने यह सुझाव दिया था कि एक किसान और मंडी के बीच की दूरी 80 किलोमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में कृषि से जुड़े विधेयकों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हालांकि तीनों बिल लोकसभा में पारित हो चुके हैं. किसान इनका विरोध कर रहे हैं, विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है, लेकिन सरकार इन्हें किसानों के हित वाला बता रही है। सुनने के लिए ऊपर के ऑडियो पर क्लिक करें। 

दिल्ली उच्च न्यायायल ने निजी एवं सरकारी स्कूलों को निर्देश दिया कि वे गरीब बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं के लिए उपकरण और इंटरनेट पैकेज मुहैया कराएं. अदालत ने कहा कि ऐसी सुविधाओं की कमी ‘डिजिटल भेदभाव’ पैदा करतीहै। सुनने के लिए ऊपर के ऑडियो पर क्लिक करें। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

केंद्र सरकार ने लोकसभा में श्रम सुधारों को लेकर एक ऐसा विधेयक पेश किया है जो बिना सरकार की मंजूरी के नियोक्ताओं को कर्मचारियों को रखने और उन्हें निकालने में अधिक सुविधा देगा. यह विधेयक ऐसे समय में आया है जब बेरोजगारी अपने चरम पर है. सरकार ने जो मसौदा पेश किया है उसके तहत कर्मचारियों के हड़ताल करने के अधिकारों पर अधिक शर्तें लगाई जाएंगी जबकि पूर्व में 100 या उससे अधिक की तुलना में अब 300 कर्मचारियों वाले औद्योगिक संस्थान कर्मचारियों को आसानी से निकाल सकेंगे.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

कोरोना महामारी के बीच जब करोड़ों लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है और रोजगार मुहैया कराने के लिए उचित तंत्र नहीं होने के चलते सरकार मनरेगा में इसका समाधान ढूंढ रही है, ऐसे में यह जानकारी सामने आई है कि सरकारों ने कई सौ करोड़ रुपये की मनरेगा मजदूरी का भुगतान नहीं किया है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में दुनियाभर के देशों की स्वास्थ्य सेवाओं पर कोरोना वायरस के प्रभाव को लेकर हुए एक सर्वे को प्रकाशित किया था. इसमें 105 देशों की रिपोर्ट को शामिल किया गया है. मार्च से जून के बीच जुटाए गए इन आंकड़ों से पता चला है कि कोरोना वायरस के कारण लगभग 90 प्रतिशत देशों की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं. कम और मध्यम आय वाले देशों को ज्यादा कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

सरकार ने प्याज की सभी किस्मों के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है. इसका उद्देश्य घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाना और कीमतों पर नियंत्रण रखना है. विदेश व्यापार महानिदेशालय की अधिसूचना के मुताबिक, प्याज की सभी किस्मों के निर्यात को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाता है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्याज के दाम करीब 40 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में हैं.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

भारत में कोरोना महामारी के दस्तक देने के बाद से पहली बार संसद की कार्यवाही के दौरान लोकसभा में कुल 10 सांसदों ने प्रवासी श्रमिकों की मौत से जुड़े सवाल पूछे थे, लेकिन सरकार ने ये जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

राज्यसभा में कांग्रेस के एक सदस्य ने श्रम कानूनों में किए गए बदलावों को समाप्त करने की मांग उठाते हुए सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से उत्पन्न हालात के कारण रोजगार गंवा चुके मजदूरों की मदद के लिए यह कदम उठाना बेहद जरूरी है. कांग्रेस के पीएल पूनिया ने उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो गई है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

चीनी मिलों ने गन्ना किसानों को लगभग 15,683 करोड़ रुपए देने है. इनमें से लगभग 65 फीसदी उत्तर प्रदेश के किसानों का है. इतना ही नहीं, लगभग 1,899 करोड़ रुपए 2016-17 से बकाया है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।