केंद्र के नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ देश भर में पिछले डेढ़ महीने से किसानों का आंदोलन चल रहा है. अब किसान राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं. 26 नवम्बर की सुबह से किसान पटियाला-अंबाला हाईवे के बैरिकेड को तोड़ते हुए और वॉटर कैनन व आंसू गैस झेलते हुए आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे. ऐसे में यूथ कांग्रेस ने कुछ तस्वीरें हाल के प्रदर्शन से जोड़कर शेयर कीं।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

तीन विवादित कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों के दिल्ली चलो मार्च से अलग भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार की आर्थिक और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ विभिन्न मजदूर संगठनों के आह्वान पर गुरुवार को एक दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक असर देखने को मिला। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

देश के कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कोरोना वायरस के बढ़ रहे मामलों पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नए दिशानिर्देश जारी किए. नए दिशानिर्देश एक दिसंबर से लागू होंगे और 31 दिसंबर तक प्रभावी रहेंगे. इन नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, राज्यों को अपने यहां के हालात के हिसाब से नाइट कर्फ्यू जैसे फैसले लेने के अधिकार होंगे, लेकिन केंद्र से चर्चा किए बगैर वे कंटेनमेंट जोन से बाहर लॉकडाउन का फैसला नहीं ले पाएंगे। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

देशभर के मज़दूर और अन्य कामगार वर्ग 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं. इस कड़ी में संघ समर्थित मज़दूर संगठन भारतीय मज़दूर संघ को छोड़कर सभी दस सेंट्रल ट्रेड यूनियन इस हड़ताल के समर्थन में हैं.ओडिशा में भी सभी सेंट्रल ट्रेड यूनियन, स्वतंत्र फेडरेशन और कर्मचारी यूनियन इस हड़ताल की तैयारी में लगे हुए थे. इस बीच 23 नवंबर सोमवार को विपक्ष के कड़े विरोध के बीच, ओडिशा सरकार ने आवश्यक सेवा (रख-रखाव) अधिनियम (एस्मा ) संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित कर दिया, जिसमें हड़ताल करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

संसद की एक समिति ने कोरोना महामारी के कारण स्वास्थ्य पर अप्रत्याशित खर्च के चलते कई परिवारों के गरीबी रेखा से नीचे जाने की संभावनाओं को लेकर चिंता जाहिर की है. संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लॉकडाउन के दौरान हॉस्पिटल के कई विभागों को बंद करने के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं काफी प्रभावित हुई हैं और इसका सबसे ज्यादा खामियाजा महिलाओं को उठाना पड़ा है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

देश की अधिकांश सार्वजनिक औद्योगिक ईकाईयों के अलावा अनेक छोटे बड़े निजी उद्योग संस्थानों से भरे झारखंड प्रदेश में आगामी 26 नवंबर को होने वाली देशव्यापी मजदूर–हड़ताल को सफल बनाने की तैयारियां ज़ोरों पर हैं. झारखंड महासचिव शुभेन्दु सेन कहते हैं कि झारखंड और देश के मजदूरों को जो बार-बार हड़ताल पर जाने की जो नौबत आ रही है इसके लिए सिर्फ और सिर्फ केंद्र की केन्द्र सरकार ज़िम्मेवार है. जिसने देश के हर तबके के साथ साथ मजदूर वर्ग के लिए तबाही ढाने वाली नीतियाँ थोपने का सिलसिला चला रखा है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रंस फंड ने विश्व बाल दिवस के मौके पर जारी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोनावायरस से संक्रमित होने वाले बच्चों में लक्षण तो मामूली ही नजर आ रहे हैं, लेकिन उनमें संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. संक्रमण के अलावा उनकी शिक्षा और खान-पान पर भी दीर्घकालीन प्रभाव बढ़ रहा है. यूनिसेफ ने कहा है कि कोरोनावायरस संकमण के चलते युवाओं की एक पूरी पीढ़ी की सेहत, रहन-सहन के तरीके व उनके पूरे जीवन में बदलाव आ सकता है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

श्रम मंत्रालय ने संसद में हाल ही में पारित एक संहिता में कार्य के घंटे को बढ़ाकर अधिकतम 12 घंटे प्रतिदिन करने का प्रस्ताव दिया है. अभी कार्य दिवस अधिकतम 10.5 घंटे का होता है. मंत्रालय ने व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य शर्तें संहिता 2020 के मसौदा नियमों के तहत अधिकतम 12 घंटे के कार्य दिवस का प्रस्ताव दिया है. इसमें बीच में अल्पकालिक अवकाश भी शामिल हैं। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

बिहार में चुनाव हो चुके हैं और एक बार फिर सरकार अपने चुनावी वायदों का मखौल बनाना शुरू कर चुकी है. जिसका पहला उदाहरण सामने आया है, सरकारी पदों पर संविदात्मक नियुक्तियों को लेकर. बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों के प्रमुखों को 17 नवंबर को एक पत्र जारी कर उन पदों के बारे में पूछा है जो 2007 से खाली हैं.इन पदों पर अनुबंध के आधार पर नियुक्ति की कवायत शुरू हो गई है. असल में फिलहाल राज्य में विभिन्न विभागों में चार लाख से ज्यादा स्थायी सरकारी पद सालों से खाली पड़े हैं.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

लिबटेक इंडिया की ओर से मनरेगा मजदूरों पर एक सर्वे हुआ है, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इनमें से एक है।उनकी दिहाड़ी से संबंधित. सर्वे के मुताबिक 45 फीसदी मनरेगा मजदूर ऐसे हैं, जिन्हें अपनी दिहाड़ी की रकम निकालने के लिए बैंकों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इस काम में उनका काफी समय और पैसा खर्च होता है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।