देश के 22 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक, पांच राज्यों की 30 फीसदी से अधिक महिलाएं अपने पति द्वारा शारीरिक एवं यौन हिंसा की शिकार हुई हैं. वहीं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और गैर-सरकारी संगठनों ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर ऐसी घटनाओं में वृद्धि की आशंका जताई है. महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों में सबसे बुरा हाल कर्नाटक, असम, मिजोरम, तेलंगाना और बिहार में है. एनएफएचएस-5 सर्वेक्षण के मुताबिक, कर्नाटक में 18-49 आयु वर्ग की करीब 44.4 फीसदी महिलाओं को अपने पति द्वारा घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
मतदाता पहचान पत्र अब डिजिटल होने जा रहा है, यानि बहुत जल्द वोट डालने के लिए आपका स्मार्टफोन ही काफी होगा जिसमें आपका चुनाव पहचान पत्र मौजूद होगा, चुनाव आयोग इस पर विचार कर रहा है, जिसे बहुत जल्द ही शुरू किया जा सकता है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
दिल्ली सीमा से लगभग 70 किलोमीटर दूर दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश से आ रहे किसानों को रोक दिया गया।तब से ये किसान वहीं बैठे हैं. सिंघु व टीकरी बॉर्डर पर बैठे किसानों की तरह उनके पास राशन का इंतजाम है और इरादा बुलंद है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के प्रभाव और इसके चलते आया आर्थिक संकट गरीब व कमजोर तबके के लिए मुसीबतों का सबब बना हुआ है. 11 राज्यों के गरीब व कमजोर तबके के करीब 4000 लोगों पर किए गए सर्वे में दो तिहाई आबादी ने बताया कि वे जो भोजन कर रहे हैं, वो लॉकडाउन से पहले के मुकाबले ‘कुछ हद तक कम’ या ‘काफी कम’ है. सितंबर और अक्टूबर में जब हंगर वाच को लेकर सर्वे किया गया था, तो पता चला कि हर 20 में से एक परिवार को अक्सर रात का खाना खाए बगैर सोना पड़ा.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
भय के इस माहौल में कई ऐसी जानकारियां सोशल मीडिया पर चल रही हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि इनके इस्तेमाल से कोरोना वायरस के असर को कम किया जा सकता है. लेकिन ये तमाम जानकारियां ना सिर्फ़ भ्रांति फैला रही हैं बल्कि इनका उपयोग करना किसी भी व्यक्ति को अस्वस्थ कर सकता है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
देश में जब किसान आंदोलन चरम पर है. कई तरह की मांगों को लेकर ठंड में भी किसान सड़क पर बैठे है. सरकार ने साल 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. तब यह जान लेना दिलचस्प है कि किसानों की कमाई वास्तव में कितनी होती है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारीए नई स्कूल बैग नीति 2020 के अनुसारए दूसरी क्लास के बच्चों को होमवर्क नहीं दिया जाना चाहिए और उन्हें 2 किलो से ज़्यादा भारी बैग लेकर नहीं चलना चाहिए इसे 24 नवंबर को तमाम राज्य सरकारों के साथ साझा किया गया। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं राहत फंड में 100 से अधिक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के वेतन से 155 करोड़ रुपये की राशि दान की है. यह राशि इन पीएसयू द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड्स के तहत दान किए गए 2400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त थी. इन पीएसयू में से कर्मचारियों के वेतन से सबसे अधिक दान ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन ने 29.06 करोड़ रुपये का किया. ओएनजीसी ने ही अपने सीएसआर फंड्स से सबसे अधिक 300 करोड़ रुपये की राशि दान की थी. इतना ही नहीं बीएसएनएल के कर्मचारियों ने भी 11.43 करोड़ रुपये का दान दिया. गठन के बाद से ही यह फंड अपने कामकाज में अत्यधिक गोपनीयनता बरतने को लेकर आलोचनाओं को घेरे में है. जहां कुछ लोग प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के होते हुए दूसरा फंड गठित करने पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं कुछ लोग फंड की जानकारी सार्वजनिक न किए जाने पर भी आपत्ति जता रहे हैं. फंड को कानूनी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएनआरएफ में पीएम-केयर्स से पैसे ट्रांसफर करने की याचिका को खारिज कर दिया था. साथियों, क्या आपको लगता है कि यह दान कर्मचारियों की मर्जी से हुआ है? क्या इस फंड में दान के बाद देश में जरूरतमंदों तक मदद पहुंची, जैसा कि दावा किया जा रहा था? क्या आपको लगता है कि पीएम केयर्स फंड का सही इस्तेमाल हो रहा है? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.
मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे देशव्यापी आंदोलन और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी अधिकार बनाने की बहस के बीच किसानों को पिछले दो महीने में एमएसपी से कम कीमत पर कृषि उपजों की बिक्री होने पर कम से कम 1,881 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के एक नए अध्ययन में सामने आया है कि कोविड-19 महामारी के गंभीर दीर्घकालिक परिणामों के चलते 2030 तक 20 करोड़ 70 लाख और लोग घोर गरीबी की ओर जा सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो दुनिया भर में बेहद गरीब लोगों की संख्या एक अरब के पार हो जाएगी। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।