शिक्षाविदों का हमेशा से ही मानना रहा है कि भारत को अपने सकल घरेलू उत्पाद का 6% शिक्षा पर खर्च करने की आवश्यकता है, वर्ष 1968 और उसके बाद की हर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह अनुशंसा की गई है, लेकिन इसके 52 वर्ष बाद भी देश में सार्वजनिक शिक्षा पर महज 3.1% खर्च किया जा रहा है. हालांकि, शिक्षा के कई जानकारों का यह मानना है कि नई शिक्षा नीति शिक्षा में निजीकरण को प्रोत्साहित कर रहा है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।