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साथियों, क्या आपने इस कोरोना काल के दौरान आपने शिक्षकों को तलाशने की कोशिश की? क्या आपने उनसे उनका हाल जाना? क्या आपके आसपास ऐसे लोग हैं जो पहले शिक्षक थे लेकिन कोविड काल में नौकरी जाने के बाद अब कोई दूसरा काम कर रहे हैं? क्या आपको नहीं लगता कि सरकार को शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधारने पर ध्यान देने की जरूरत है? स्कूल बंद होने और शिक्षकों के ना रहने से आपके बच्चों की पढ़ाई पर कितना असर पड़ा है? अगर आप शिक्षक हैं, तो हमें बताएं कि कोविड काल के दौरान आपको किस तरह की परेशानियां आईं और क्या अब आपके हालात पहले जैसे हैं? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

शहरों में ऑफिस दोबारा खोले जा रहे हैं लेकिन फिर भी यहां से जो छोटे—मोटे ठेले, पान की दुकानें गायब हुईं हैं वो अब भी खाली हैं. ट्रेनों में यात्रियों की भीड है पर इस भीड़ में चने—मूंगफली बेचने वाले नही हैं. क्या सोचा है आपने कि वे सब कहां गए? वे लोग जो गांव से निकलकर शहर आए थे और छोटा—मोटा रोजगार कर अपना और परिवार का पेट पाल रहे थे आखिर वे गए कहां? क्यों लॉकडाउन खुलने के बाद भी वे वापिस नहीं आए? आखिर क्या हुआ उनका? सरकार ने कोरोना राहत पैकेज के तहत स्वरोजगार करने वालों को बिना ब्याज के लोन सुविधा देने का एलान किया लेकिन फिर भी बहुत से लोग खुद को वापिस खड़ा नहीं कर पाए हैं? क्या ऐसा इसलिए है कि लोन लेने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि उन पर पहले से ही कर्ज बहुत ज्यादा है? क्या अब शहरों में इन छोटे रोजगार करने वालों की जरूर खत्म हो गई है? क्या शहरों की होटलों, ढाबों या दूसरे छोटे संस्थानों में मजदूरों की मांग कम हो गई है? अगर ऐसा है तो यहां काम करने वाले पुराने मजदूर अब कहां हैं? वे कैसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं? अगर आप ऐसे किन्ही मजदूरों के बारे में जानते हैं तो हमें उनकी स्थिति के बारे में जरूर बताएं. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3

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दोस्तों, शिक्षक का पद बहुत ही गरिमामय है, वे हमेशा अपने छात्रों को स्वाभिमानी बनने की शिक्षा देते हैं, सोचिए उनके लिए यह समय कितना विकराल रहा है? स्कूल बंद, कोचिंग बंद, नौकरी नहीं, तनख्वाह नहीं... हाथ खाली और वे बस बेबस! सरकार ने गरीबों को राशन दिया, अच्छी बात है पर एक शिक्षक का आत्मसम्मान तो उसे वहां तक भी नहीं पहुंचा सकता. सरकारी शिक्षकों के पास तो फिर भी तनख्वाह पहुंच रही थी लेकिन संविदा शिक्षक, निजी स्कूल में आॅनलाइन कक्षाएं ना ले पाने वाले शिक्षकों या फिर ऐसे शिक्षक जो छात्रों तक नहीं पहुंच पाए क्या उनके साथ सबकुछ ठीक रहा? अब जबकि हालात सामान्य की ओर हैं, तब भी स्कूलों से शिक्षक नदारद हैं. कुछ ने अपने लिए नए काम की तलाश कर ली है तो कुछ रोजगार की तलाश में हैं. साथियों, हम आपसे जानना चाहते हैं... कि क्या आपने इस कोरोना काल के दौरान आपने शिक्षकों को तलाशने की कोशिश की? क्या आपने उनसे उनका हाल जाना? क्या आपके आसपास ऐसे लोग हैं जो पहले शिक्षक थे लेकिन कोविड काल में नौकरी जाने के बाद अब कोई दूसरा काम कर रहे हैं? क्या आपको नहीं लगता कि सरकार को शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधारने पर ध्यान देने की जरूरत है? स्कूल बंद होने और शिक्षकों के ना रहने से आपके बच्चों की पढ़ाई पर कितना असर पड़ा है? अगर आप शिक्षक हैं, तो हमें बताएं कि कोविड काल के दौरान आपको किस तरह की परेशानियां आईं और क्या अब आपके हालात पहले जैसे हैं? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

साथियों, पहले तो लोगों को काम नहीं मिल रहा है और दूसरा अगर काम मिल जाए तो वैक्सीन ना लगने की वजह से मौके हाथ से निकल रहे हैं. हमें बताएं कि क्या आप भी इस संकट का सामना कर रहे हैं? क्या आपको भी वैक्सीन ना मिलने के कारण रोजगार की तलाश करने में परेशानी हो रही है? क्या कारखानों में काम देने के पहले वैक्सीन लगवाना अनिवार्य कर दिया गया है? और जो कामगार दूसरों के घरों में काम करते हैं, या फिर मजदूर चौक पर रोजाना आजीविका तलाशते हैं, क्या उन्हें भी टीके का हवाला देकर काम देने से इंकार किया जा रहा है? क्या आपके गांव में, सोसायटी में भी बिना टीके लिए एंट्री नहीं दी जा रही है? अगर ऐसा है तो अब आप कैसे काम तलाश रहे हैं? क्या वापिस गांव लौटने पर आपको काम मिलने की उम्मीद है? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

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दोस्तों, लॉकडाउन के अकेलेपन को हम सबने झेला है पर खतरा अभी टला नहीं है और हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वैज्ञानिक कोरोना की तीसरी लहर आने का अंदेशा जता चुके हैं. ऐसे में क्या इस तरह की लापरवाही ठीक है? हमें बताएं कि आखिर क्यों सार्वजनिक स्थलों पर इतनी ज्यादा आवाजाही हो रही है? क्या स्थानीय प्रबंधन इसे रोकने के लिए कोई प्रयास कर रहा है? क्या केवल चालान काटने और जुर्माना लगा देने भर से कोरोना के प्रति बरती जा रही लापरवाही को रोका जा सकता है या फिर इसके लिए आम लोगों का जागरूक होना ज्यादा जरूरी है? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.